Nagpur District Court

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    नागपुर. पति की मृत्यु के बाद झूठे दस्तावेज तैयार कर बंदूक की नोक पर सम्पत्ति हड़पने की खैरून्निसा द्वारा पुलिस से शिकायत की गई. शिकायत के बाद दर्ज मामले में जमानत के लिए कथित आरोपी अधि. सतीश उके ने जिला सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की. अर्जी पर सुनवाई के बाद अति. सत्र न्यायाधीश डीएस घूमरे ने मामले को गंभीर बताते हुए जमानत देने से साफ इनकार कर दिया.

    अदालत ने आदेश में कहा कि मुवक्किल ने अपने वकील पर विश्वास कर मामला सौंपा था किंतु वकील ने उसके विश्वास का गला घोट दिया है. यह हाईवे पर डकैती जैसा मामला है. शिकायतकर्ता ने न केवल सम्पत्ति हड़पने का आरोप लगाया बल्कि लैंगिक उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है. पूरे मामले से ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त ने अपने प्रोफेशन का गलत फायदा उठाया है. अदालत ने कहा कि वकील ने विधि का पैरवीकार होना चाहिए न कि अपने मुवक्किल की सम्पत्ति हड़ने का रणनीतिकार.

    पहले भी झूठी शिकायत

    कथित आरोपी सतीश उके की ओर से बताया गया कि समाज में उसकी गहरी पैठ है. खैरून्निसा मो. समद की शिकायत और झूठी रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है. इसके पूर्व भी 23 जनवरी 2022 को शिकायतकर्ता ने झूठी शिकायत दर्ज की थी जिसमें सत्र न्यायालय ने अंतरिम जमानत प्रदान की थी. शिकायतकर्ता और उनके बीच का विवाद पूरी तरह से दिवानी मामला है लेकिन इसे फौजदारी बनाकर झूठा फंसाया गया है. खैरून्निसा ने स्वयं उन्हें सम्पत्ति बेची, जबकि उसी ने यह सम्पत्ति तीसरे व्यक्ति को भी बेचकर रकम ली जिसे लेकर अजनी और सीताबर्डी पुलिस में भी शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन पुलिस ने इस पर संज्ञान नहीं लिया. चूंकि खैरून्निसा पर आरोप लगाए गए थे, अत: इसका बदला लेने के लिए ही उसने झूठी शिकायत दर्ज कराई.

    बंदूक का भय दिखाकर हड़पी सम्पत्ति

    अभियोजन पक्ष की ओर से बताया गया कि पति की मृत्यु के बाद शिकायतकर्ता के भोलेपन का लाभ उठाया और बंदूक का भय दिखाकर सम्पत्ति पाने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए जिसके आधार पर ही पुलिस ने मामला दर्ज किया. शिकायतकर्ता के पति की मृत्यु से पहले उके ने उसके पति के साथ 4 सम्पत्तियों को लेकर एग्रीमेंट किया था. मो. समद की 26 अगस्त 2006 को हत्या के बाद उके ने 17 मई 2008 को पॉवर ऑफ अटर्नी तैयार कर ली. इस मामले में दत्तु जगताप नामक व्यक्ति भी शामिल है.

    पूरे मामले की सघन जांच के लिए उके की हिरासत जरूरी है. पुलिस की ओर से बताया गया कि अभियुक्त उके के खिलाफ कई मामले दर्ज है. पुलिस, न्यायिक अधिकारी और सरकारी वकीलों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करना उसकी आदत है. अदालत की अवमानना के लिए भी उसे दोषी करार दिया गया था. पुलिस ने इस मामले में काफी जांच की है. बंदूक और पॉवर ऑफ अटर्नी जब्त करना बाकी है. यदि इन्हें जमानत दी गई तो वकील होने के कारण सबूतों से छेड़छाड़ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.