Money laundering case Special court grants bail to former minister Anil Deshmukh's aide Kundan Shinde
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नागपुर. पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि बड़े पैमाने पर विदेश से कपास का आयात होने से देश में कपास का भाव गिर गया है. कपास आयात करने की बजाय निर्यात को गति देने की जरूरत है. निर्यात बढ़ेगा तो ही कपास का भाव बढ़ेगा. उन्होंने केन्द्र सरकार से कपास के निर्यात पर अनुदान की मांग की. उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में करीब 43 लाख गठान कपास निर्यात किया गया था तब भाव अच्छा मिला था व किसानों को लाभ हुआ था. लेकिन 2022-23 में निर्यात नीति को दुर्लक्ष किया गया.

उलटे आयात नीति में बदलाव कर आयात पर जो 11 प्रतिशत शुल्क था उसे माफ कर 13 लाख गठानें आयात की गयीं और कपास के भाव में भारी गिरावट आ गई. इसके अलावा केन्द्र ने 3 महीने पूर्व कपास का समर्थन भाव 6,620 रुपये घोषित किया जिससे किसान की लागत तक नहीं निकल सकती.

जब तक किसान को 12,000 रुपये प्रति क्विंटल भाव नहीं मिलता उसे कोई फायदा नहीं मिलेगा. जब तक आयात-निर्यात नीति नहीं बदली जाती व निर्यात को प्रोत्साहित नहीं किया जाता कपास को भाव नहीं मिलने वाला. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केन्द्र से इस संदर्भ में चर्चा कर किसानों के हित में कदम उठाना चाहिए. 

देशमुख ने कहा कि कपास दर नियंत्रण में लाने के लिए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के माध्यम से केन्द्र सरकार पर दबाव निर्माण किया गया था. कपास की किल्लत का हवाला भी दिया गया था. उस दबाव के चलते सितंबर व अक्टूबर 2022 के दौरान कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क रद्द करने का निर्णय केन्द्र ने लिया था. 16 लाख गठानों के आयात से भाव गिर गया था. उन्होंने सवाल किया कि क्या अब भी केन्द्र पर दबाव है.