आज अधिकारियों की क्लास, प्रकल्प समिति सभापति करेंगे दौरा

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  • 5 वर्षों में पूरा नहीं हो पाया रोड का काम
  • 850 मीटर लंबा डीपी रोड

नागपुर. मनपा की ओर से विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए महाराजबाग के भीतर से जानेवाले रोड और बीच में आनेवाले पुल के लिए आवश्यकता के अनुसार निधि तो मंजूर की, किंतु 5 वर्षों का समय बीत जाने के बावजूद अबतक इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. 5 वर्षों में कई समितियों के सभापति और महापौर भी बदल गए, किंतु किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया है. अब हरकत में आई स्थापत्य और प्रकल्प समिति के सभापति अभय गोटेकर की ओर से इसे गंभीरता ले लिया गया.

इसका अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुरुवार को अधिकारियों के साथ वास्तविक निर्माण का जायजा लेकर समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने निर्माण स्थल पर जाने की घोषणा तक कर दी. सूत्रों के अनुसार लंबे समय से अटके होने और प्रशासन की ओर से की गई लापरवाही के लिए अब अधिकारियों की क्लास होने की जानकारी सूत्रों ने दी.

प्रशासन की लापरवाही 

प्रकल्प समिति सभापति गोटेकर ने कहा कि निश्चित ही इस सड़क और पुल के विकास को लेकर प्रशासन की लापरवाही उजागर हो रही है. हालांकि इसमें ठेकेदार की कार्यप्रणाली का भी आंकलन किया जाएगा. किंतु प्राथमिक स्तर पर प्रशासन की सबसे अधिक जिम्मेदारी उजागर हो रही है. जिससे ठेकेदार से समय के भीतर कार्य करना चाहिए था. अब चर्चा के साथ जिसकी भी गलतियां उजागर होगी. उससे स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा.

उल्लेखनीय है कि वित्तिय वर्ष 2015-16 के आम बजट में तत्कालीन स्थायी समिति सभापति रमेश सिंगारे की ओर से महाराजबाग के भीतर से होकर नागपुर युनिवर्सिटी लाईब्ररी चौक तक जानेवाले इस डीपी रोड को शामिल किया गया था. जिसके बाद डीपी रोड के खर्च को भी मंजूरी देकर टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई. टेंडर की शर्तों के अनुसार डीपी रोड का निर्माण डेढ वर्ष के भीतर पूरा किया जाना था. किंतु आलम यह है कि अब हद तक सड़क का निर्माण तो किया गया, किंतु सड़क के बीच आनेवाले पुलिया का काम भी कई महिनों से पूरा नहीं हो पा रहा है. 

आयुक्त को कई बार लिखा पत्र

क्षेत्र की पार्षद रूपा राय ने कहा कि इस पुल का काम रूका होने के कारण आवाजाही करनेवाले लोगों को काफी परेशानी है. इस समस्या को लेकर आयुक्त को कई बार पत्र लिखे गए. किंतु कभी कोरोना तो कभी वित्तिय संकट का हवाला देकर त्रास्दी जताई गई. प्रशासन की कुछ भी समस्याएं रही हो, लेकिन उनके द्वारा लंबे समय अटके कार्य को पूरा करना जरूरी था. प्रशासन ने जनता को भगवान भरोसे छोड़ रखा है. इसके लिए अब गहरे नींद में सोए प्रशासन को जगाने की चेतावनी भी उन्होंने दी.