Bribe in Dhule

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वाहिद काकर@नवभारत 
धुलिया: 
धुलिया (Dhule) लोकल क्राइम ब्रांच विभाग छवि मलिन हुई है। थाना प्रभारी अधिकारी दत्तात्रय शिंदे समेत दो पुलिसकर्मियों को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है। इस वारदात से पुलिस की लूट और घूसखोरी (Bribe) उजागर हुई है। जिस वजह से जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय शर्मशार हुआ है। आरोपीयो के खिलाफ दौड़ाईचा थाने में मामला दर्ज किया है। जांच पड़ताल में पिआई शिंदे के आवास से डेढ़ करोड़ रुपये की सामग्री जिस में आभूषण नकदी और ज़मीन जायदाद के कागजात बरामद हुआ है। 

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ज़िले
राज्य में चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराने के लिए प्रशासन ने कमर कसी है। इसी के चलते शातिर बदमाशों के खिलाफ पुलिस विभाग ने तड़ीपारी का कार्य शुरू किया है। शिंदखेड़ा तहसील स्थित दौड़ाइचा के एक संदिग्ध व्यक्ति पर अनेक प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज है। उससे एलसीबी के पुलिस कर्मी नितीन आनंदराव मोहने, अशोक साहेबराव पाटील ने मुलाकात कर धमकाया की तुम्हारे खिलाफ बहुत सारे आपराधिक मामले दर्ज है। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर तुम्हें ज़िला बदर किया जाएगा। प्रस्ताव बनाया जा रहा है। तुम्हें अगर जिला बदर तड़ीपार नहीं होना है तो इसके बदले दो लाख रुपये की घूस थाना प्रभारी अधिकारी दत्तात्रय शिंदे को देनी होगी। 

शिकायतकर्ता की इच्छा रिश्वत नहीं देने की थी उसने धुलिया एंटी करप्शन विभाग के पुलिस उप अधीक्षक अभिषेक पाटील के समक्ष दर्ज कराई। प्राप्त शिकायत का सत्यापन करने पर पता चला कि पुलिस इंस्पेक्टर दत्तात्रेय शिंदे ने शिकायतकर्ता के खिलाफ निवारक कार्रवाई नहीं करने के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत की मांग की और रिश्वत की राशि पुलिस कांस्टेबल को देने के लिए कहा।

शिकायतकर्ता से डेढ़ लाख रुपये की समझौता राशि स्वीकार करते हुए पुलिस कांस्टेबल नितिन मोहने और अशोक पाटिल को रंगे हाथों ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार किया है। इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर दत्तात्रय शिंदे को गिरफ्तार किया है। मंगलवार को एलसीबी इंस्पेक्टर दत्तात्रय सखाराम शिंदे, हवालदार नितीन आनंदराव मोहने, अशोक साहेबराव पाटील
को अदालत में पेश किया। 

उन्हें दो दिन की हिरासत में रखने, जांच पड़ताल करने के आदेश न्यायालय ने पारित किए हैं। यह कारवाई एसीबी नासिक परिक्षेत्र पोलीस अधीक्षक शर्मिष्ठा घारगे-वालावलकर,
अपर पोलिस अधिक्षक माधव रेड्डी वाचक, उपअधीक्षक नरेंद्र पवार के मार्गदर्शन में पुलिस उपअधिक्षक अभिषेक पाटील, पुलिस निरीक्षक रूपाली खांडवी, हवालदार राजन कदम, संतोष पावरा, रामदास बारेला, बडगुजर ने अंजाम दिया है। 
 
पुलिस अधीक्षक श्रीकांत धिवरे ने पदभार संभालने के बाद से ही शहर समेत ज़िले में सभी थाना प्रभारी अधिकारियों का अवैध कारोबार को बंद करने की निर्देश जारी किए थे। किंतु पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ही नागरिकों से डरा धमका कर अमित भोजपुरी का कार्य एलसीबी के माध्यम से किया जा रहा था। एसपी को इस मामले की जानकारी कैसे नहीं लगी। यह शोध का विषय हो गया है।

पुलिस अधीक्षक के बाद ज़िले पर स्थानीय क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर और टीम की पैनी नजर होती है लेकिन अन्य थानों से आए अवैध वसूली कलेक्टरों के एलसीबी में जमावड़ा लगने के कारण ही ज़िले में अवैध कारोबार फलफूल रहे हैं और इन कारोबार में पुलिस कर्मियों की सहभागिता भी होती है। अनेक बार इस का खुलासा भी  हुआ है।

पुलिस अधीक्षक को एलसीबी की साफ सुथरी प्रतिमा को स्थापित करने वर्तमान टीम को बर्खास्त कर, तैनात पुलिसकर्मियों को ट्रैक रिकॉर्ड जांच कर और नए कर्मियों को मौका देना चाहिए। जिन्हें पुलिस सेवा में कम से कम दस वर्षों का अनुभव हो। जिसके चलते पुलिस विभाग दागदार नहीं होगा। शिंदे धुलिया में इंस्पेक्टर बन कर मोहाड़ी थाना के बाद तहसील थाना प्रभारी अधिकारी बने और सीधे एलसीबी इंस्पेक्टर पद पर पदासीन हुए। अनुभव के आभाव में ब्यूरो के हत्थे चढ़े। 

गौरतलब हो कि इससे पहले भी एलसीबी थाना प्रभारी अधिकारी के अलावा अन्य पुलिस कर्मियों को गैरकानूनी कारोबार में लिप्त पाया गया है। पुलिस मुख्यालय से अवैध शराब का भंडार पकड़ा गया था। चोरी की मोटरसाइकिल रखने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों की एरंडोल पुलिस ने जांच पड़ताल की थी। उसके बाद सत्ता और कुर्सी के नशे में चूर तत्कालीन एलसीबी इंस्पेक्टर हेमंत पाटील के खिलाफ महिला से जबरन दुष्कर्म करने की मांग के कारण देवपुर थाने में केस दर्ज कराया गया था। जिसके चलते
स्थानीय क्राइम ब्रांच की गरिमा दागदार हुई थी। उसके बाद फिर पुलिस महकमा शर्मशार हुआ है।

तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजय बारकुंड के कार्यकाल में भी एक पुलिस हेड कांस्टेबल ने करोड़ो रूपये का जीएसटी ई वे बिल के नाम पर महामार्ग पर ट्रांसपोर्टरों से अवैध वसूली की है। इस पूरे मामले में रात दिन एक पुलिस वैन में सवार होकर हाईवे पर जीएसटी बिलों में कमियां बता कर दो पुलिस कर्मी ट्रक चालकों से जुर्माना के नाम पर वसूली करते थे। इस मामले में एक एक वरिष्ठ अधिकारी के इशारे पर यह वसूली की जाती थी, उसकी भी उच्च स्तरीय जांच अधर में लटकी है।