निफाड : आसमानी-सुल्तानी संकट से जूझते हुए बड़ी मुश्किल से किसानों (Farmers) ने अपनी फसलें उगाई, लेकिन प्याज के बहुत कम भाव मिलने के प्याज उत्पादकों (Onion Growers) को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि प्याज का भाव गिरने से नाफेड (Nafed) की आर्थिक स्थिति भी लड़खड़ा गई है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्याज का बढ़ा उत्पादन लेकिन आमदनी नहीं बढ़ी, इसने कृषि की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, इसलिए आक्रोशित किसानों और संगठनों ने निफाड, येवला, दिंडोरी, बगलान, सटाणा आदि स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया तो नैताले में किसान ने रोटर घुमा दिया।
प्याज की फसल से किसानों को अच्छी आमदनी होती है। गेहूं, बाजरा, चना, सोयाबीन की तुलना में प्याज की फसल निश्चित रूप से अधिक लाभदायक है। लेकिन किसान कुछ वर्षों से संकट में है। लाल प्याज के दाम की गारंटी देना सरकार के लिए संभव नहीं है, क्योंकि ये प्याज टिकता नहीं है, लेकिन सरकार के लिए यह संभव है कि वह गर्मियों में प्याज के लिए समर्थन मूल्य दे। सरकार को चाहिए कि वह गर्मी के प्याज के निकलने से पहले उसकी बिक्री व्यवस्था करे। इसके लिए सरकार को निर्यात शुल्क में भी छूट देनी पड़ सकती है। प्याज के उत्पादन लागत को देखते हुए प्याज की फसल के लिए कम से कम पंद्रह सौ से दो हजार रुपए का समर्थन मूल्य मिलना जरूरी है।
नाफेड से प्याज की खरीद की मांग बेकार
केंद्र सरकार की यह मांग कि प्याज उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार में मंत्री ‘नाफेड से प्याज खरीदें। लाल प्याज सिर्फ एक महीने चलता है। ग्रीष्मकालीन प्याज को भंडारित किया जा सकता है क्योंकि यह छह महीने तक चलता है, इसके अलावा, अगर देश में प्याज का बाजार मूल्य अचानक बढ़ जाता है, तो नाफेड बाजार मूल्य के अनुसार प्याज खरीदता है ताकि नाफेड के प्याज को बाजार में लाकर बाजार मूल्य को स्थिर किया जा सके, यह गारंटी के साथ प्याज नहीं खरीदता। इसलिए नाफेड से प्याज की खरीद की मांग बेकार है।