नवरात्रि उत्सव कल से, दर्शन के लिए ऑनलाइन पास की व्यवस्था

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    राकेश हिरे

    कलवण. साढ़े तीन शक्तिपीठ में से अर्ध पीठ होने वाले सप्तशृंगी देवी (Saptashrungi Devi) का नवरात्रि उत्सव (Navratri festival) कल से शुरू हो रहा है। सप्तशृंगी गढ़ पर आने वाले भक्तों को ऑनलाइन पास (Online Pass) लेकर आना जरूरी है। संकेत स्थल से ऑनलाइन पास की सुविधा दी गई है। प्रति घंटा 1200 भक्तों को दर्शन की सुविधा उपलब्ध की गई है। कोरोना (Corona) के चलते इस साल नवरात्रि उत्सव यात्रा रद्द की गई है। सरकारी आदेश के तहत केवल भक्तों को श्री भगवती दर्शन का अवसर विश्वस्त संस्था ने निर्धारित किए गए नियम के तहत उपलब्ध किया गया है। 

    दर्शनार्थी की उम्र कम से कम 10 वर्ष से अधिक और 65 वर्ष से कम होना आवश्यक है। दर्शनार्थी का कोविड-19 संदर्भीय दोनों टीकाकरण पूर्ण होना आवश्यक है। जिनका टीकाकरण पूरा नहीं होगा उन्हें 72 घंटे पहले RTPCR जांच की निगेटिव रिपोर्ट देना आवश्यक है। 

    निजी यातायात के लिए मार्ग बंद

    नवरात्रि उत्सव के समय 7 से 15 अक्टूबर और 19 से 20 अक्टूबर के बीच नांदुरी से सप्तशृंगी गढ़ मार्ग पर जिला प्रशासन ने निजी यातायात के लिए बंद की है। दर्शनार्थी को मास्क का उपयोग, सैनेटाइजर का उपयोग और शारीरिक अंतर रखना आवश्यक है। ऑनलाइन दर्शन पास के बारे में वीडियो और प्रजेंटेशन विश्वस्त संस्था के संकेत स्थल सहित फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है।

    संकेत स्थल पर उपलब्ध होगा पास

    सप्तशृंगी देवी दर्शन के लिए भक्तों को ऑनलाइन www.saptashrungi.net और www.ssndtonline.org से अपना दर्शन पास निकाल सकते है। दर्शनार्थी ऑनलाइन पास पर निर्धारित किए गए समय (स्लॉट) कम से कम 1 घंटा पहले नांदुरी में पुलिस और राजस्व प्रशासन की ओर से पास की जांच कर महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के वाहन से कम से कम आधा घंटा पहले मौजे सप्तशृंगी गढ़ परिसर में दर्शन कतार में उपस्थित रहे। श्री भगवती का ऑनलाइन दर्शन पास नांदुरी से सप्तशृंगी गढ़ बस से आते समय दिखाना अनिवार्य है।

    100 रुपए फीस लेने का निर्णय वापस

    आखिरकार नाशिक में कालिकादेवी मंदिर संस्थान होश में आ गया है और दर्शन के लिए 100 रुपए फीस लेने के निर्णय को वापस लिया गया लेकिन भक्तों को ऑनलाइन पंजीकरण करना आवश्यक होगा। कोरोना संकट के दौरान राज्य में मंदिर बंद कर दिए गए थे। नतीजतन, कई मंदिरों की आय पूरी तरह से ठप हो गई थी। अब राज्य सरकार ने घटस्थापना के बाद से राज्य में मंदिर और सभी धार्मिक स्थल शुरू करने का फैसला किया है। ऐसे समय में कुछ मंदिर संस्थानों ने भक्तों से शुल्क लेकर दर्शन का लाभ देने का फैसला किया था। नाशिक के कालिका मंदिर प्रशासन ने भी नवरात्रि उत्सव के दौरान 100 रुपए शुल्क लेकर दर्शन करने का फैसला किया था, लेकिन भक्तों ने सशुल्क दर्शन का विरोध किया था इसलिए आखिरकार यह फैसला वापस ले लिया गया है।