STP Plant
file

    Loading

    पिंपरी: आमजनों के अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाने वाले पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (PCMC) द्वारा खुद ही अवैध निर्माण कार्य मे लिप्त रहने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है। महानगरपालिका के पर्यावरण विभाग ने नाला पर ही चिखली, कुदलवाड़ी (Kudalwadi) में तीन एलएलडी क्षमता सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP Plant) का निर्माण काम शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट पर आठ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

    चिखली और कुदलवाड़ी क्षेत्रों में नागरिकरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। साथ ही, इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लघु उद्योग, कबाड़ के गोदाम हैं। यहां की फैक्ट्री का पानी, सीवेज सीधे इंद्रायणी नदी में छोड़ा जा रहा है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने बार-बार महानगरपालिका को चिखली इलाके में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का निर्देश दिया था। तदनुसार महानगरपालिका के पर्यावरण विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया के बाद मार्कर्स नामक ठेकेदार को इसके निर्माण कार्य का ठेका दिया गया है। इस काम पर पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका आठ करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

    नदी में जाता है नाले का पानी 

    देहु-आलंदी मार्ग के पास कुदलवाड़ी क्षेत्र में बड़ा नाला है। इस नाले का पानी सीधे इंद्रायणी नदी में जा रहा है। इसलिए महानगरपालिका ने इस नाले पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर बढ़ते शहरीकरण के कारण शहर में प्राकृतिक नालों और नालों को अवरुद्ध कर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी की जा रही हैं। महानगरपालिका का अतिक्रमण विभाग कभी कार्रवाई करता है तो कभी सहूलियत से आंखें मूंद लेता है। हालांकि, प्राकृतिक नालों और नालों में गाद भर जाने से शहर के कई हिस्सों में अभी भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इस बीच महानगरपालिका प्रशासन खुद नाले पर ऐसे प्रोजेक्ट लगा रहा है।

    पानी को शुद्ध कर पार्क में किया जाएगा प्रयोग 

    इस बारे में पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के पर्यावरण विभाग के एसोसिएट सिटी इंजीनियर संजय कुलकर्णी ने कहा कि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की अनुमति से ही चिखली कुदलवाड़ी में नाले पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भले ही नाले में निर्माण काम चल रहा है, लेकिन खड़े किए जा रहे खंभों की ऊंचाई ज्यादा है। इससे नाले के पानी के मार्ग में कोई बाधा नहीं आएगी। इस नाले में आने वाले तीन एमएलडी पानी को शुद्ध कर स्थानीय सोसायटियों में निर्माण और पार्क के लिए दिया जाएगा। संबंधित ठेकेदार इस काम को एक साल में पूरा करेगा साथ ही उसे 5 साल के देखभाल और मरमम्त की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।