(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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    नई दिल्ली: हम सब जानते है हमारे देश में रविवार को सभी स्कूल बंद रहते है।लेकिन महाराष्ट्र के पुणे जिला परिषद् का प्राइमरी स्कूल एक ऐसा है जो पिछले 20 वर्ष से रविवार के दिन भी लगातार खुल रहा है। बता दें कि यह अनोखी स्कूल शिरूर तालुका में स्थित है, जो शहर से 60 किलोमीटर दूर है। इतना ही नहीं बल्कि इस स्कूल को सिर्फ दो शिक्षकों द्वारा संचालित किया जा रहा है।

    स्टूडेंट्स की कड़ी  मेहनत और शिक्षकों के मार्गदर्शन की वजह से यहां के बच्चे हर क्षेत्र में आगे है, फिर चाहे प्रतियोगी परीक्षा हो या फिर और कोई भी क्षेत्र हो, यह बच्चे हर स्केटर क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं। इस आदर्श स्कुल के बारे में शायद पता न हो, इसलिए आज हम आपको इस अनोखी स्कुल के बारे में बताने जा रहे है… आइए जानते है इस स्कूल के बारे में जानकारी.. 

    देश के बाकी स्कूलों के लिए मिसाल है स्कूल 

    इसी खास वजह है कि यह स्कूल देश के अन्य स्कूलों के लिए मिशाल बन गया है। बता दें कि नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की एक टीम यहां के शिक्षा स्तर के जांचने के लिए मार्च में पहुंची थी। इस दौरान एनसीईआरटी की टीम ने भी यहां क्वालिटी एजुकेशन की सराहना की। टीम के मुताबिक एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के बच्चों में सीखने की कमी है, वहीं यहां के छात्र कक्षा एक में प्रवेश करने से पहले ही अच्छी तरह से पढ़ और लिख सकते हैं। 

    सीखने जैसी बात 

    वाकई में ये बहुत अच्छी बात है। एनसीईआरटी टीम के सदस्यों में शामिल असिस्टेंट प्रोफेसर पजनकर ने बताया कि यहां के छात्र देश के अन्य स्कूलों के छात्रों के लिए अच्छा उदाहरण हैं। पजनकर ने कहा कि इस स्कूल के कामकाज, अच्छी प्रथाओं और इस तरह की उपलब्धि कैसे हासिल की, इस पर एक विस्तृत शोध का अनुकरण किया जा सकता है। 

    सुविधाए न होने के बावजूद बनी आदर्श स्कूल 

    पाजनकर के मुताबिक ऐसे समय में जब हम सालाना छात्रों के स्कूल छोड़ने की रिपोर्ट कर रहे हैं, इस स्कूल ने साल के सभी दिनों के लिए छात्रों को आकर्षित करने का एक उदाहरण स्थापित किया है। छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षकों ने सराहनीय प्रयास किया है, जो बेहद महत्वपूर्ण होता है। 2001 में जब शिक्षक दत्ताराय सकत स्कूल में शामिल हुए, तो उनके पास खराब बुनियादी ढांचा, निम्न शैक्षणिक स्तर था और गांव के छात्र कक्षाओं में आने को तैयार नहीं थे।

    शिक्षकों का सराहनीय कार्य

    लेकिन सकत ने तब एक अकादमिक माहौल लाने और छात्रों को प्रोत्साहित करने का काम किया। यही वजह है कि आज यहां के बच्चे हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं। देश के बाकी स्कूलों के लिए यह बहुत अच्छी सिखने जैसी बात है कि बुनियादी सुविधाएं न होने के बावजूद छात्रों ने कड़ी मेहनत की है और शिक्षण ने बच्चों का भविष्य बनाने केलिए अपनी जी जान लगा दी।