Chinmay Mandlekar

    Loading

    पिंपरी: कश्मीर फाइल्स (Kashmir Files) फेम मशहूर अभिनेता चिन्मय मांडलेकर (Chinmay Mandlekar) को कलारंग सांस्कृतिक कला संस्था की ओर से इस साल का कलागौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बीजेपी (BJP) के पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक आशीष शेलार (MLA Ashish Shelar) के हाथों चिंचवड़ (Chinchwad) के प्रो. रामकृष्ण मोरे प्रेक्षागृह में उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया। इस दौरान मशहूर अभिनेता राहुल सोलापुरकर ने ‘सफर चिन्मय मांडलेकर का’ के तहत चिन्मय का खुला साक्षात्कार किया। इसमें उन्होंने फिल्म, नाटक क्षेत्र के उनके सफर के कई पहलुओं को खोलकर रख दिया।

    एक सवाल के जवाब में चिन्मय ने कहा कि सोशल मीडिया के आने पर हर कोई खुश होता है, लेकिन इस वक्त सोशल मीडिया का बेतहाशा और गैरजरूरी इस्तेमाल और ट्रोलिंग बीते दिनों की बात हो गई है। यह मुझे काफी खटकता है, मैं इससे बहुत नाराज हूं। सोशल मीडिया पर दुनिया उतनी भयानक नहीं है जितनी लगती है। असल जिंदगी में बहुत सारे अच्छे लोग हैं। 

    इन कलाकारों को भी दिया गया पुरस्कार

    इस कार्यक्रम में पिंपरी चिंचवड शहर के स्थानीय कलाकारों को कलारंग पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनमें आकाश थिटे (लेखक, दिग्दर्शक, अभिनेता, वॉईस ओवर आर्टिस्ट), रश्मी घाटपांडे (थिएटर आर्टिस्ट), तेजस चव्हाण (संगीतकार, संगीत संयोजक), निषाद सोनकांबले (गायक), प्रगल्भ कोलेकर (अभिनेत्री), रविंद्र कांबले (गायक) का समावेश है। इस कार्यक्रम के मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिम महाराष्ट्र कार्यावह डॉ. प्रवीण दाबडघाव, पुणे विभाग कार्यावह मुकुंद कुलकर्णी, भाजपा महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष उमा खापरे, भाजपा प्रदेश सदस्य सदाशिव खाडे, पूर्व सभागृह नेता एकनाथ पवार, नामदेव ढाके, कलारंग संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अमित गोरखे आदि उपस्थित थे।

    चिन्मय पर उम्मीदों का बड़ा भार: आशीष शेलार 

    पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने अपने संबोधन में कहा कि आशुतोष गोवारिकर, लता दीदी के बाद, मराठी आदमी की जगह चिन्मय मंडेलकर ने बनाई। उन्होंने अपने भीतर का कलाकार पूरे देश को दिखाया। उन्होंने मुझे छत्रपति पर आठ फिल्में बनाने के लिए एक सुखद धक्का दिया। शिवराय का चरित्र प्रेरणादायक है। चिन्मय अगली पीढ़ी हैं और उन पर उम्मीदों का बड़ा भार है। वर्तमान पहले से कहीं ज्यादा कठिन है। संवेदनशील दिमाग वाले व्यक्ति को राजनीति और समाजशास्त्र में शामिल होना चाहिए। जब संवेदनशीलता कम हो जाती है तभी लाउडस्पीकर की आवाज के साथ प्रतियोगिता शुरू होती है। आज कलारंग संस्था 24 साल की हो गई, तब मैं इसके संस्थापक अमित गोरखे की उम्र के बारे में सोचने लगा था। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में हमारे औद्योगिक शहर को सांस्कृतिक शहर बनाने के सपने के साथ काम करना शुरू कर दिया।  कलारंग के जरिए अमित गोरखे ने अपने छोटे से करियर में बेहतरीन काम करते हुए वे अपने विचार भी विकसित कर रहे हैं।