ठाणे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना (Bullet Train Project) में प्रभावित करीब 50 किसान आज भी मुआवजे (Compensation) के लिए सरकारी कार्यालयों (Government Offices) का चक्कर लगा रहे है। लेकिन तीन वर्ष बाद भी किसानों (Farmers) को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाया है। जबकि जिला प्रशासन ने किसानों के जमीनों का अधिग्रहण कर लिया है।
मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने के लिए बुलेट ट्रेन की नीव रखी गई। बुलेट ट्रेन का रूट मुंबई से ठाणे और भिवंडी होते हुए खारबाव की ओर जाना निश्चित है। भिवंडी तहसील स्थित भरोड़ी गांव में बुलेट ट्रेन का यार्ड बनाना प्रस्तावित है। वर्ष 2017 में बुलेट ट्रेन के यार्ड के लिए भरोड़ी गांव के लगभग 50 किसानों की 60 एकर जगह का भूमि अधिग्रहण किया गया। इस भूमि अधिग्रहण में कई किसानों का घर भी चला गया किंतु किसानों को जमीन का उचित मुआवजा अभी तक नहीं मिल पाया है। किसानों के वकील भारद्वाज चौधरी ने बताया कि भरोड़ी गांव के करीब 50 किसानों की दो से 42 गुंठा भूमि बुलेट ट्रेन परियोजना में गई है। किसानों को उचित न्याय मिल सके इसलिए नोटिस भेजने का कार्य मैं निरंतर कर रहा हूं।
“मैं पिछले 3 साल से चक्कर लगा रहा हूं। मेरी 42 गुंठा जमीन गई है। घर का पैसा मिला है, लेकिन खेत का नहीं मिला। प्रांत अधिकारी से लेकर अन्य सरकारी कार्यालय का चक्कर लगा रहा हूं। आज कल करते हुए तीन साल निकल गए हैं।” -(जयवंत पाटिल, भरोड़ी गांव निवासी, भिवंडी)।
“परियोजना में आ रहे मेरे घर को तीन साल पहले तोड़ दिया गया है। पुश्तैनी जमीन हमारे नाम पर है। जिला अधिकारी, प्रांत अधिकारी सभी के ऑफिस का चक्कर लगाया है।” -(रामदास पाटिल,परियोजना प्रभावित किसान)।
“तकनीकी कारणों के चलते अभी तक मुआवजा किसानों को नहीं मिल पाया है। यह बात सत्य है, लेकिन धीरे-धीरे विभिन्न चरणों में किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है और इसमें और तेजी लाई जाएगी।” -(राजेश नार्वेकर, जिलाअधिकारी, ठाणे)।