भिवंडी में सफाई न होने से कामवारी नदी हुई नाले में तब्दील

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    भिवंडी: भिवंडी (Bhiwandi) से गुजरने वाली कामवारी नदी (Kamwari River) की समुचित तरीके से साफ-सफाई न होने के कारण नदी नाले (Drain) में तब्दील होती दिखाई पड़ रही है। करीब 3 वर्ष पूर्व जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने महानगरपालिका प्रशासन के साथ नदी स्थल का दौरा कर प्रशासन से ‘नदी बचाओ अभियान’ के मद्देनजर विस्तृत चर्चा की थी, बावजूद शासन- प्रशासन ने लाखों लोगों की आस्था की प्रतीक कामवारी नदी की साफ-सफाई और रखरखाव के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की। नदी में दोनों तरफ से आने वाली गंदगी से नदी पटकर पूर्णतया गंदे नाले में तब्दील हो गई है। जनहित सामाजिक संस्था ने जिलाधिकारी राजेश नार्वेकर (Rajesh Narvekar) से कामवारी नदी के संरक्षण के लिए जरुरी कदम उठाने की मांग की है।

    गौरतलब है कि लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक कामवारी नदी भिवंडी तालुका स्थित अनगांव समीप पिलंझे देपीवली से उद्गम होकर कवाड गोरसई सावंदे आदि मार्ग से चाविंद्रा होकर भिवंडी महानगरपालिका सीमा क्षेत्र से नदीनाका म्हाडा कॉलनी, शेलार, खोनी, काटई, काम्बा, तांडेल मोहल्ला, ईदगाह, कारीवली, जुनांदुरखी, नवघर, खारबाव आदि क्षेत्र से होकर वसई खाड़ी में समा जाती है। 

    शासन की उपेक्षा का शिकार नदी

    भिवंडी ग्रामीण भाग में एक तरफ़ उल्हास नदी दूसरी ओर वैतरणा नदी का किनारा और एक तरफ खाड़ी का फैला हुआ विशाल क्षेत्र है। भिवंडी तालुका के मध्य से गुजरने वाली कामवारी नदी हमेशा शासन की उदासीनता का शिकार हुई है। भिवंडी ग्रामीण क्षेत्र स्थित नदी नाका, शेलार, खोनी, काटई आदि क्षेत्रों में खाड़ी किनारे स्थित कपड़ा डाईंग सहित रहिवासी परिसरों से भारी मात्रा में गंदा पानी, मलमूत्र नदी में छोड़ा जाता है जिससे नदी छोटे नाले में तब्दील हो गई है। जागरूक नागरिकों की बार-बार शिकायत के बावजूद शासन और स्थानीय प्रशासन नदी की समुचित साफ-सफाई कोई सार्थक कदम नहीं उठाता है।

    प्रदूषण नियंत्रण मंडल की लापरवाही उजागर

    कामवारी नदी की दुर्दशा के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल पूर्णतया जवाबदार है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी नाका, शेलार, खोनी गांव स्थित दर्जनों कपड़ा डाइगों का बगैर शोधित गंदा पानी सहित आसपास इमारतों का मलमूत्र निर्बाध रूप से नदी में छोड़े जाने की शिकायत के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग कोई कार्रवाई अंजाम नहीं देता है। प्रदूषण विभाग के अधिकारी दिखावे के तौर पर नोटिस थमा देते हैं।

    गणपति, दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन स्थल

    कामवारी नदी में आसपास के क्षेत्रों के हजारों लोगों द्वारा प्रतिवर्ष गणपति, दुर्गा माता की मूर्तियों का विसर्जन धार्मिक रीति रिवाज से किया जाता है। गणपति और दुर्गा माता भक्तों द्वारा शासन से नदी की साफ-सफाई की अपील बार-बार किए जाने के बाद भी कोई सार्थक पहल नहीं होती है। गणपति पर्व के दौरान महानगरपालिका और ग्राम पंचायत प्रशासन द्वारा गणपति विसर्जन घाटों की आधी-अधूरी सफाई कर दी जाती है, जहां भक्तगण मनमसोस कर दुखी मन से बप्पा और दुर्गा माता की मूर्तियों का विसर्जन कर देते हैं।

    …तो कामवारी नदी के अस्तित्व पर  खतरा

    ‘नदी बचाओ अभियान’ में अग्रणी भूमिका निभाने वाली ओसवाल कॉलेज की प्राचार्य जल नायक डॉ.स्नेहल दोन्दे का कहना है कि भिवंडी महानगरपालिका की हद्द में आने वाली कामवारी नदी के दोनों किनारों पर गंदगी का साम्राज्य है। ग्रामीण और महानगरपालिका क्षेत्रों के नालों से भारी मात्रा में गंदा पानी डाला जा रहा है। पवित्र नदी के संरक्षण की तरफ शासन-प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। चौतरफा फैली गंदगी की वजह से नदी नाले में तब्दील होने लगी है। शासन द्वारा जल्द व्यापक तरीके से नदी की सफाई का नियोजन नहीं हुआ तो नदी को नाले में तब्दील होने में देर नहीं लगेगी और कामवारी नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। अगर शासन ने ध्यान नहीं दिया तो जल्द ही नदी संरक्षण के लिए न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।