Potholes in Bhiwandi

    Loading

    भिवंडी: भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका (Bhiwandi Nizampur City Municipal Corporation) क्षेत्र में बरसात का सीजन (Rainy Season) समाप्त हो जाने के बावजूद वाहन चालकों की समस्या सड़कों पर बने हुए गड्ढों (Potholes) को लेकर बनी हुई है। जिसे लेकर शहर के नागरिकों और वाहन चालकों में आक्रोश व्याप्त है। गौरतलब है कि शहर के कनेरी, गौरीपाड़ा, कल्याण नाका से धामनकर नाका, कामतघर, तडाली और जूना थाना रोड ( Juna Thana Road) की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं, जिसके बीच ही वाहन चालकों को वाहन चलाने को मजबूर होना पड़ रहा है। 

    भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन इन गड्ढों की मरम्मत के लिए कोई उपाय करता नहीं दिखाई पड़ रहा है, इसलिए बरसात के मौसम बीत जाने के बावजूद नागरिकों की परेशानी कम नहीं हुई हैं। हर साल सड़क निर्माण और मरम्मत पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिया है। फिर भी शहर की गलियों और मुख्य सड़कों पर गड्ढों का साम्राज्य कायम हैं। इन गड्ढों से शहरवासी काफी सहमे और परेशान हैं। साथ ही शहर के नागरिक अब रीढ़ की हड्डी की समस्या से जूझ रहे हैं।

    हो रहे हैं सड़क हादसे

    शहर के कल्याण नाका से धामनकर नाका और कनेरी से गौरीपाड़ा मंडई के बीच बड़ी संख्या में गड्ढे हो गए हैं। इससे गड्ढे में वाहन जाने से हादसे होते हैं। स्थानीय नागरिक ज्ञानेश्वर गोसावी ने आरोप लगाया है कि भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि नागरिकों को नागरिक सुविधाएं मुहैया कराए, लेकिन भिवंडी महानगरपालिका अपना कर्तव्य जैसे भूल गई है। शहर में सड़कों की समस्या गंभीर हैं। इसके अलावा शहर में बनी पक्की सड़कों का निर्माण खराब हुआ है और वह भी जर्जर हो गयी हैं। महानगरपालिका के पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियरों की जिम्मेदारी बनती है कि वह गली मोहल्ले की सड़कों के अतिरिक्त शहर के जो मुख्य मार्ग हैं उनकी समय-समय पर मरम्मत करते रहें, जिससे सड़क की दुर्घटनाएं कम होगी और नागरिकों के जान-माल की भी सुरक्षा होगी। प्रशासन हमेशा अपनी कमियों को छोड़कर नागरिकों को हर कमी और समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराता रहता है।

    मानवाधिकार आयोग की फटकार का भी नहीं कोई असर

    मानवाधिकार आयोग ने सड़कों पर हुए तमाम गड्ढों को गंभीरता से लेते हुए भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन से जवाब मांगा था। महानगरपालिका प्रशासन द्वारा अनाप-शनाप जवाब देकर मानवाधिकार आयोग की खानापूर्ति की गई है। मानवाधिकार आयोग सख्त रवैये के बावजूद महानगरपालिका प्रशासन गड्ढों की मरम्मत को लेकर गंभीर नहीं है।