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सूर्यप्रकाश मिश्र@नवभारत
मुंबई: देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जेएनपीटी (JNPT) के माध्यम से एमएमआर के पालघर (Palghar) के पास वधावन कंटेनर बंदरगाह (Vadhavan Container Port) का निर्माण (Construction) होगा। पालघर व आसपास के क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली इस बहुउद्देश्यीय कंटेनर पोर्ट परियोजना को फरवरी 2020 में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत मंजूरी दी थी। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीए) के अध्यक्ष संजय सेठी के अनुसार पालघर जिले के डहाणू तालुका में प्राकृतिक समुद्री तट पर आकार लेने वाले वधावन कंटेनर पोर्ट की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में और तेजी आएगी। 

76 हजार करोड़ की लागत जेएनपीटी के अनुसार वधावन बंदरगाह के विकास में पर्यावरण से संबंधित सभी शर्तो का पालन किया जा रहा है। इस कंटेनर पोर्ट के निर्माण पर लगभग 76,220 करोड़ रुपए खर्च होंगे।  इसके कार्यान्वयन के लिए निवेश प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास प्रस्तावित हैं। इस परियोजना में जेएनपीटी की 74 प्रतिशत जबकि शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड के पास होगी। 

वन एवं पर्यावरण विभाग की मंजूरीबताया गया कि वधावन बंदरगाह परियोजना के विकास के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्राथमिक मंजूरी प्रदान की है। ग्रीन टिब्यूनल की मंजूरी के लिये जारी सभी शर्तों का पालन किया रहा है। महाराष्ट्र सरकार भी इस परियोजना को जल्द शुरू करने का प्रयास कर रही है। जेएनपीटी का कहना है, कि परियोजना के क्रियान्वयन और इसके परिचालन के साथ वधावन बंदरगाह तथा इसके आसपास पर्यावरण का संरक्षण, सुरक्षा आदि कार्यों की जिम्मेदारी भी पोर्ट ट्रस्ट की होगी। 

20 मीटर की प्राकृतिक गहराईपालघर जिले में पर्यावरणपूरक वधावन बंदरगाह का निर्माण अत्यंत सुलभ है। यहां समुद्र तट के करीब लगभग 20 मीटर का प्राकृतिक गहराई (ड्राफ्ट) है, जो 16,000-25,000 बीस फुट समतुल्य इकाई (टीईयू) क्षमता के बड़े कंटेनर जहाजों की हैंडलिंग में सक्षम होगा। 

सड़क व रेल लाइन का निर्माणवधावन कंटेनर पोर्ट की वजह से रोजगार के नए अवसर पैदा होने हैं। इस बंदरगाह के निर्माण के दौरान ही, विभिन्न कार्यों के लिए कम से कम 50,000 श्रमिकों की आवश्यकता होगी।  इसके साथ नेशनल हाइवे से पोर्ट तक 33.4 किमी की सड़क का निर्माण और 12 किलोमीटर की नई रेल लाइन का निर्माण प्रस्तावित है। इस पोर्ट के निर्माण का बड़ा फायदा पालघर व ठाणे जिले के आद्योगिक विकास में होगा। 

परमाणु ऊर्जा विभाग की मंजूरी

बंदरगाह निर्माण के लिएसभी पर्यावरण कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के विशेषज्ञों की कमेटी भी बनाई गई थी. बताया गया कि वधावन बंदरगाह के निर्माण स्थल से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. परमाणु ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बंदरगाह विकास को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया है. वधावन बंदरगाह से संभावित तेल रिसाव का अध्ययन भी किया गया है. इससे बीएआरसी को कोई नुकसान न होने का दावा भी किया गया है. इसके अलावा बंदरगाह के लिए काफी कम भूमि का अधिग्रहण होना है. विस्थापितों के मुवावजे व पुनर्वास को लेकर भी नीति बनाई गई है. मछुआरों को पर्याप्त मुआवजा दिए जाने की घोषणा की गई है. जेएनपीए का दावा है कि इस बंदरगाह से मछुआरों का कोई नुकसान नहीं होगा.

स्थानीय मछुआरों का विरोध

उल्लेखनीय है, कि पर्यावरण, आजीविका एवं विस्थापन के नुकसान का दावा करते हुए कुछ संस्थाओं एवं स्थानीय मछुआरों द्वारा परियोजना का विरोध भी किया. इस पर जेएनपीए के अध्यक्ष संजय सेठी ने कहा कि रायगढ़ के नावाशेवा में देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट बनने से आसपास क्षेत्र के स्थानीय लोगों को काफी फायदा हुआ है. रायगढ़ की तरह पालघर में वधावन पोर्ट बनने से पूरे क्षेत्र के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा.