fake-doctors should not be treated with treatment - CEO

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    ठाणे : मुंबई से सटे ठाणे जिले (Thane District) में फर्जी डॉक्टरों (Fake Doctors) की भरमार सी हो गई है। जिले में मुन्नाभाई एमबीबीएस आम नागरिकों (Citizens) के स्वास्थ्य (Health) के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे है। जोकि दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग फर्जी डॉक्टरों का पता लगाने असफल साबित हो रही है और उनके पास ऐसे डॉक्टरों का अकड़ा भी मौजूद नहीं है। 

    आपको बता दें कि जिले के भिवंडी में एक फर्जी डॉक्टर के कारण दिसंबर महीने में एक मरीज की जान जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद भिवंडी में तीन और फर्जी डॉक्टर मिले हैं। मरीज यह सवाल उठाने लगे हैं कि जब फर्जी डॉक्टर नहीं होते तो डॉक्टर होने का ढोंग करने वाले मरीजों की सेहत से खिलवाड़ कब तक करेंगे। वहीं स्वास्थ्य विभाग भी फर्जी डॉक्टरों की अनदेखी कर रहा है। 

    वैसे भी निजी अस्पतालों में इलाज कराना गरीब मरीजों की पहुंच से बाहर है और दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, उपकरणों की कमी और भी कई चीजों की कमी है। नतीजतन, गरीब मरीजों को अधिक खर्च करना पड़ता है। लेकिन जब उनके पास पैसे नहीं होते है तो ऐसे काम चार्ज करने वाले फर्जी डाक्टरों के पास इलाज के लिए मजबूरन जाना पड़ता है। 

    गरीबों को नहीं पता चलता डॉक्टर फर्जी है या सही 

    सबसे अहम बात यह है कि मरीजों को भी पता नहीं होता कि इलाज करने वाला डॉक्टर फर्जी है या नहीं और चूंकि स्वास्थ्य विभाग ऐसे डॉक्टरों की पढ़ाई-लिखाई की जांच नहीं कर रहा है। इसलिए ठाणे जिले में फर्जी डॉक्टरों का बोलबाला है। खासकर इससे पहले भी कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि फर्जी चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब क्षेत्रों में आवास बना रहे हैं। 

    कुछ साल पहले प्रशासन ने चलाया था अभियान  

    कुछ साल पहले ठाणे पुलिस ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर ठाणे, भिवंडी, कल्याण, उल्हासनगर से कई फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। पांच साल पहले पुलिस ने डोंबिवली में नर्सिंग होम चलाने वाली फर्जी महिला डॉक्टर का भंडाफोड़ किया था। तो वहीं ठाणे के कलवा इलाके में एक फर्जी डॉक्टर भी मिला। लेकिन अब एक गंभीर मुद्दा बन चुका है कि झोलाछाप डॉक्टर महीनों से मरीजों का इलाज क्यों कर रहे हैं? ऐसे में अब एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई की मांग उठने लगी है। 

    जिला प्रशासन के पास नहीं है आंकड़ा 

    जिला में कितने फर्जी डॉक्टर है इसका आकड़ा जिला स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद नहीं है। ऐसे में अब जिला स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा होने लगा है। क्योंकि इस प्रकरण में जिला स्वास्थ्य विभाग ने कुछ भी होने से इंकार कर दिया है।