BJP
बीजेपी (File Photo)

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ठाणे: ठाणे लोकसभा सीट (Thane Lok Sabha Seat) पर महायुति (Mahayuti) ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। बीजेपी और शिवसेना दोनों ठाणे सीट पर अपना वर्चस्व बताते हुए उम्मीदवारी पाने की जिद में अड़े हुए हैं। इस देरी से कार्यकर्ताओं में भारी उहापोह और आक्रोश बढ़ रहा है। फिलहाल इस पर पर्दा डालने दोनों दलों की ओर से लोकल नेता प्रचार (Election Campaign) में जुट गए हैं। बीजेपी की ओर से ठाणे सीट के संभावित उम्मीदवार डॉ. संजीव नाईक रात दिन चौक सभाएं कर रहे हैं। ठाणे और नवी मुंबई में विविध कार्यक्रमों के जरिए जनसंपर्क बढ़ाने में जुटे हैं। हालांकि शिवसेना भी अब पीछे नहीं है, हफ्ते भर में एकनाथ शिंदे के निर्देश पर नवी मुंबई में शिवसेना नेता 4 सभाएं कर चुके हैं। हर चौक सभा में कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया जा रहा कि उम्मीदवार अपना होगा। हालांकि कोई भी स्पष्ट तौर पर यह दावा करने को तैयार नहीं कि टिकट किस पार्टी को मिलेगा।

टिकट घोषणा से बीजेपी की अंदरखाने बड़ी तैयारी
बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की 11वीं लिस्ट जारी हो चुकी है, लेकिन ठाणे सीट से उम्मीदवारी की घोषणा इसमें नहीं है। हफ्ते भर पहले उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दावा कर चुके हैं कि ठाणे संसदीय सीट बीजेपी के लिए अहम है। शिवसेना नेता भी यही दावा कर रहे हैं कि ठाणे शिवसेना का गढ़ है इसलिए यह सीट शिवसेना को मिलनी चाहिए। बीजेपी आलाकमान का रवैया भी इस खींचतान को बल दे रहा है। टिकट में देरी इसका बड़ा संकेत देती है, सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ठाणे सीट के लिए कमर कस चुकी है और अंदरखाने जोरदार प्रचार में जुटी है। संजीव नाईक का ठाणे से लेकर नवी मुंबई तक धुआंधार जनसंपर्क इसका बड़ा संकेत है। बताया जा रहा है कि 19 मार्च के बाद से बीजेपी की ओर से छोटी बड़े 30 से अधिक प्रचार और संपर्क कार्यक्रम हो चुके हैं। इस मुकाबले में शिवसेना पिछड़ रही है। नवी मुंबई में फिलहाल शिवसेना की 4 हाल सभाएं हुई हैं, जिनमें शिवसैनिकों को चुनाव प्रचार में जुटने का आह्वान किया गया है।

वर्चस्व की लड़ाई में जीतेगा कौन
ठाणे लोकसभा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से बीजेपी के 4 विधायक हैं। नवी मुंबई में गणेश नाईक के नेतृत्व वाले 55 नगरसेवक हैं। संजीव नाईक के संसदीय कार्यकाल में ठाणे और मीरा भायंदर में सक्रियता रही है। पूर्व मंत्री गणेश नाईक का यहां दबदबा रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इसे अपना होम टाउन और धर्मवीर आनंद दिघे नित शिवसेना का गढ़ बताते हुए यहां अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं। महाविकास आघाडी सरकार के दौरान शिंदे ने नाईक के वर्चस्व को हर हाल में कम करने की कोशिश की। यह सिलसिला कमोबेश जारी है। ठाणे सीट पर फंसा पेंच नाईक और शिंदे के वर्चस्व के चलते अटका है। बीजेपी नाईक के जरिए अपना गढ़ मजबूत करने ठाणे सीट से अपना उम्मीदवार लड़ाना चाहती है। हालांकि बगावत के डर से टिकट पर फैसला नहीं किया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि नॉमिनेशन के नजदीक आने पर ही इस सीट का फैसला हो सकेगा।