Plastic
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    भिवंडी : प्लास्टिक थैलियों (Plastic Bags) पर कड़े प्रतिबंध (Strict Restrictions) के बावजूद भिवंडी (Bhiwandi) में प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध बेअसर साबित हो रहा है। सरकार (Government) के कड़े प्रतिबंध के बावजूद प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों का उपयोग दुकानदारों, ठेला वालों, सब्जी-फल विक्रेताओं द्वारा जोरशोर से किया जा रहा है।

    प्रशासन की लापरवाही के कारण दुकानदारों के हौसले बुलंदी पर हैं। जागरूक नागरिकों का आरोप है कि कभी-कभार दिखावे के तौर पर प्लास्टिक विक्रेताओं और दुकानदारों पर धरपकड़ की कार्रवाई अंजाम दी जाती है बावजूद दूसरे दिन पुनः बाजार में प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों की बिक्री, उपयोग पुनः धड़ल्ले से शुरू हो जाता है।

    गौरतलब हो कि भिवंडी महानगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत बाजार तीन बत्ती, मंडई, धामनकर नाका, पद्मानगर, कामतघर, अंजूर फाटा, शांतिनगर भाजी मार्केट, म्हाडा भाजी मार्केट सहित ठेला पर फल-सब्जी बेचने वाले तमाम दुकानदार ग्राहकों को प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों अर्थात 50 माइक्रोन से कम मोटाई की थैलियों में सामान खुलेआम देते दिखाई पड़ते हैं। प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों की विक्री और उपयोग पर सख्ती के लिए आर्थिक दंड का प्राविधान किए जाने के उपरांत भी महानगरपालिका अधिकारी दिखावे के तौर पर कार्यवाही कर चुप्पी साध लेते हैं जिससे विक्रेताओं, दुकानदारों, ठेला चालकों, सब्जी-फल विक्रेताओं और उपयोगकर्ताओं के हौंसले बुलंदी पर हैं।

    प्लास्टिक थैलियों की विक्री और उपयोग रोकने के लिए कारगर कदम

    जागरूक नागरिकों का आरोप है कि महानगरपालिका आरोग्य विभाग द्वारा भिवंडी महानगरपालिका के 5 प्रभाग समितियों में प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए निर्मूलन पथक निर्मित कर प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों के उपयोग, विक्री पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। टीम में शामिल लोग कार्यवाही कम वसूली करते हुए ज्यादा देखे जाते हैं। प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों की विक्री, उपयोग भिवंडी में जोरों से होने की वजह से ग्रामीण परिसर स्थित प्लास्टिक विक्रताओं के हौंसले आसमान पर हैं। शहर के जागरूक नागरिकों नें महानगरपालिका कमिश्नर सुधाकर देशमुख  से शहर को प्रदूषण मुक्त और साफ-सुथरा रखे जाने की खातिर प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों की विक्री और उपयोग रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जाने की मांग की है। 

    उक्त संदर्भ में एक महानगरपालिका अधिकारी ने कहा कि सरकारी नीतियां समझ से परे हैं। कम माइक्रोन की थैलियों के निर्माण पर पूर्णतया पाबंदी लगानी चाहिए। प्रतिबंधित थैलियों का निर्माण करने वाले प्लास्टिक कारखानों का लाइसेंस रद्द करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्लास्टिक कारखानों से निर्मित होकर थैलियां बाजार में आती हैं। अगर थैलियां कारखानों में न बने तो दुकानदार और ग्राहक को कैसे मिलेगी ? ग्राहक थैलियां न मिलने पर अपने घर से झोला लेकर बाजार जाएंगे।