एक बार फिर जलकुंभी का शिखर हुई उल्हास नदी, प्रशासन ने मूंदी आंखें

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    उल्हासनगर : कल्याण तालुका के ग्रामीण इलाकों सहित मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, उल्हासनगर, कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका क्षेत्र के नागरिकों की प्यास बुझाने वाली उल्हास नदी (Ulhas River) स्थानीय कांबागांव मोटर पंप हाउस के पास एक बार फिर जलकुंभी (Water Hyacinth) की बेल बढ़ने लगी है। पानी मे ऊक्त बेल का बढ़ना प्रदूषण (Pollution) का लक्षण माना जाता है। 

    समय रहते ऊक्त समस्या का समाधान किए जाने की जरूरत है। ऐसे में अब लोगों को दूषित पानी और उससे होने वाली बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। कल्याण तालुका में उल्हासनदी, बारवी, कालू और भातसा नाम की चार बारहमासी नदियां है। कल्याण तालुका की पचीसों ग्राम पंचायतें, जिले की विभिन्न नगरपालिका और महानगरपालिका उल्हासनदी के पानी पर निर्भर है। पिछले कुछ वर्षों में उल्हासनदी के पानी में बड़ी मात्रा में पानी में बेल उग आई थी,  इस जलकुंभी के कारण कई जलीय जंतु ऑक्सीजन की कमी के कारण मर रहे थे। 

    बदलापुर, कर्जत, अंबरनाथ और आगे कल्याण में, फार्महाउसों, इमारतों, केमिकल कंपनियों, शहरी सीवेज, जल निकासी लाइनों का हजारों अशुद्ध पानी सीधे उल्हासनदी में रोजाना जाता है। जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा था। इसकी रोकथाम के लिए इसके खिलाफ उल्हास रिवर रेस्क्यू एक्शन कमेटी और कई अन्य सामाजिक संगठनों ने उल्हासनदी के बढ़ते प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने अपने स्तर पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विरोध दर्शाया और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शिकायत भी की। यही नहीं स्थानीय संघर्ष समिति के प्रयासों से निजी क्षेत्र के लोगों से सहयोग लेकर गत वर्ष नदी से जलकुंभी निकालने का काम भी किया गया था। इसलिए यह नदी जलकुंभी मुक्त हो गई थी। लेकिन अब फिर से नयथरपाड़ा कांबागांव मोटर पंप हाउस के पास जलकुंभी जमा होना शुरू हो गया है जो चिंता का विषय है। 

    उल्हासनदी से जलकुंभी को हटाने का काम गत वर्ष जनसहयोग तथा मनपा प्रशासन के माध्यम से किया गया था। लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए। समिति की मांग तो यह है कि नदी में दूषित पानी आना बंद होना चाहिए।

    - रविंद्र लिंगायत, उल्हासनदी बचाओ कृति समिति।