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वर्धा. ग्रामीण क्षेत्र में बोगस डाक्टर काफी सक्रिय रहते है़. कम पैसों में दवाई व स्वास्थ्य सुविधा मिलने से ग्रामीण भी इन डाक्टरों के बहकावे में आ जाते है. बिना किसी लाइसेन्स के अस्पताल चला कर यह डाक्टर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते है. सरकारी निर्देश होते हुए भी जिले में वर्ष 2023 में बोगस डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई ठप है. वहीं वर्ष 2021-22 में करीब 48 बोगस डाक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की थी. इनमें से 10 के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया था. वहीं 7 डाक्टरों के अस्पताल सील किये गये थे.

बता दें कि, जिले में कोरोना के संकट के बाद से बोगस डाक्टर अधिक सक्रिय हो गये है़ं इस महामारी की चपेट में आनेवाले नागरिक गांव में ही बोगस डाक्टरों के पास जाकर दवाइयां लेते थे. साथ ही मौसमी बीमारियों का भी फायदा यह डाक्टर बड़ी मात्रा में उठाते है़. ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक आर्थिक नुकसान व समय बचाने के लिये गांव के ही डाक्टरों से ही अपने स्वास्थ्य की जांच कराते थे. इसी अवसर का लाभ ग्रामीण परिसरों में कुछ झोलाछापा डाक्टर उठाते है.

कोरोनाकाल में ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे डाक्टरों ने अपनी दूकानदारी जमा ली थी़  नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर उनकी आर्थिक लूट कर रहे थे़  कोरोना के समय ऐसे डाक्टरों ने कई नागरिकों को लूटा है़  बिना कोई लाईसेन्स व प्रमाणपत्र के यह डाक्टर गांव खेड़ों में किराये के मकानों में अपना अस्पताल शुरु कर देते हैं तो कुछ डाक्टर फोनकॉल पर सेवा प्रदान करते है़. परंतु अधुरा ज्ञान व गंभीर बीमारी की समझ न होने से कई बार उनकी दवाई नागरिकों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसे कुछ गंभीर मामले जिले में सामने आये है़  इस संबंध पिछले साल कुछ शिकायते स्वास्थ्य प्रशासन को मिली थी. इसके आधार पर जिले में 48 बोगस डाक्टरों पर कार्रवाई की गई थी़ जबकि 10 के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया था. इसमें आर्वी तहसील के 2, आष्टी के 2, देवली 3, सेलू 2 व समुद्रपुर तहसील के 1 डाक्टर का समावेश था. वहीं 7 के अस्पताल सील कर दिये गये.

जिला समिति लेती है एक्शन

बोगस डाक्टरों के संबंध में शिकायत मिलने पर जिलास्तरीय समिति एक्शन लेती है. जिलाधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी व जिला शल्य चिकित्सक की त्रिसदस्यीय समिति इसकी पूर्ण जांच कर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करती है. शिकायत मिलते ही तहसीलस्तरीय समिति के माध्यम से संबंधित डाक्टर व अस्पताल की संपूर्ण रिपोर्ट मांगी जाती है. पश्चात कानूनी कार्रवाई की जाती है. 

नागरिक बरते सतर्कता

जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक बदलते मौसम में बीमारियों से ग्रस्त होते है़. साथ ही संक्रमक बीमारियां भी बीच-बीच में पांव फैलाती है. ऐसी स्थिति में लोग बोगस डाक्टरों के बहकावे में आते है़. कई बार गलत दवाई के सेवन से जान तक जाती है. इसलिये नागरिक मान्यता प्राप्त चिकित्सकों के पास ही अपना उपचार करवाए. ऐसे बोगस डाक्टरों से बचे, ऐसा आह्वान स्वास्थ्य विभाग ने किया है.