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    वर्धा. बहुचर्चित शंभू सोनगडे हत्या मामले में पुलिस की लापरवाही का और एक नमूना सामने आया. आरोपी शैलेश येलणे की जेल में रवानगी होने के उपरांत पुलिस ने उसके खिलाफ अवैध साहूकारी का मामला दर्ज किया है. प्रकरण में अहम भूमिका अदा करने वाली पल्लवी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न किए जाने से आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है़  2 दिसंबर की रात ब्याज की राशि वसूलने  गए शैलेश येलणे ने नालवाड़ी के नागसेननगर निवासी शंभू सोनगड़े को कार से कुचलकर मौत के घाट उतार दिया. घटना के उपरांत शैलेश नागपुर भाग गया. मोबाइल लोकेशन पर पुलिस ने उसे धरदबोचा. इसके बाद पुलिस की जांच पर प्रश्न चिन्ह निर्माण होने लगे. 

    शैलेश ने साहूकारी से कमाई करोड़ों की संपत्ति

    घटना के समय शैलेश के साथ पल्लवी व जगताप मौजूद होने की जानकारी मृतक की पत्नी ने पुलिस को दी थी. परंतु शैलेश को छोड़ अन्य दोनों पर कार्रवाई नहीं होना समझ के परे है. शैलेश अपना पैसा जरूतमंदों को पल्लवी के माध्यम से देता था. पल्लवी सहित अन्य महिला भी शैलेश के संपर्क में होने की जानकारी सामने आयी थी. परंतु पुलिस ने उस दिशा में जांच की गति नहीं बढ़ाई. शैलेश 15 से 25 प्रतिशत तक ब्याज पर जरूतमंदों को राशि देता था, यह जानकारी जांच में सामने आयी थी. शैलेश के पास किसी प्रकार का साहूकारी का लाइसेंस नहीं था. अपराधिक जगत से संबंध होने के कारण शैलेश धमकाकर राशि वसूल करता था. कई बार जान से मारने की धमकी देने की बात भी जांच में सामने आयी.  

    वर्धा सहित नागपुर तक फैली थी अवैध साहूकारी 

    मुद्दल व ब्याज की राशि वसूल करने शैलेश उक्त व्यक्ति के घर से कीमती सामान अथवा घर अपने नाम से करवा लेता था. ऐसे अनेक कागजात उसके पास थे. शैलेश की अवैध साहूकारी वर्धा तक ही सीमित नहीं थी. नागपुर में भी वह ब्याज से पैसे बांटता था. ब्याज के पैसों से वह बीते कुछ वर्षों में करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया. शंभू सोनगडे की हत्या के बाद उसका असली चेहरा समाज के सामने आया. ब्याज के व्यवसाय के कारण शैलेश के पुलिस से अच्छे संबंध रहे है, जिसका लाभ भी उसने उठाया. शैलेश को न्यायालय ने 8 दिसंबर तक पीसीआर दिया था, किंतु पुलिस ने उस पर खास कृपा बनाये रखने की जानकारी है.

    मकान की की गई तलाशी

    शैलेश के मकान की तलाशी में साहूकारी से संबंधित कुछ कागजात पुलिस के हाथ लगे. परंतु महत्वपूर्ण कागजात पहले ही रफादफा कर दिये गए. पुलिस के साथ साठंगांठ होने के कारण उसे बचाने का संदेह जताया जा रहा है. ज्ञात हो कि करीब डेढ़ दशक पूर्व जिले में अवैध साहूकारों के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की थी. तब वर्धा व पुलगांव के साहूकार के पास बड़ी संख्या में स्टाम्प पेपर व प्रापर्टी के कागजात मिले थे. ब्याज के नाम पर प्रापर्टी हड़पने का बड़ा मामला सामने आया था. परंतु शैलेश येलणे मामले में पुलिस ने ऐसी मुस्तेदी नहीं दिखाई. पुलिस एक ओर कह रही है कि येलणे मामले में साहूकारी के तहत बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. वहीं उसे बचाने का पूरा प्रयास किया गया है. सही दिशा में प्रकरण की जांच करती तो बीते कुछ महीनों की यह एक बड़ी कार्रवाई हो सकती थी.