Jharkhand Vidhan Bhavan

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    – ओमप्रकाश मिश्र 

    रांची : झारखंड (Jharkhand) राज्य में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) रोकने के लिए कानून (Law) का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। आज इसे विधानसभा सत्र (Assembly Session) के दौरान अध्यादेश (Ordinance) के रूप में पेश किया गया है। इसके मुताबिक ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को अधिकतम सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। 

    यह कानून बंगाल में लगभग दो वर्ष पूर्व बना चुका है और वहां भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के मामलों में फांसी तक की सजा देने का प्रविधान किया गया है, लेकिन झारखंड में इसे आजीवन कारावास तक सीमित रखा गया है। इसके साथ ही 25 लाख रुपये तक जुर्माना करने के साथ-साथ चल-अचल संपत्ति जब्त की जा सकती है। 

    तीन तरह की सजा का प्रावधान 

    मॉब लिंचिंग की घटना को रोकने के लिए झारखंड में कानून बनाने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है। अपराध साबित होने पर अध्यादेश के अनुसार  तीन वर्गों में सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें किसी पीड़ित के जख्मी होने पर आरोपित को तीन साल तक की सजा और तीन लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में आरोपियों को दस वर्ष की सजा सुनाई जा सकती है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाने की व्यवस्था की गई है। ऐसे मामलों में कम से कम तीन लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकेगा जो बढ़कर पांच लाख तक किया जा सकता है। 

    मौत होने पर जब्‍त होगी पूरी संपत्ति  

    मॉब लिंचिंग के दौरान मौत होने पर आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ 25 लाख अर्थदंड लगाने और पूरी संपत्ति जब्त करने तक का प्रावधान किया गया है।  ऐसे मामलों में जांच प्रक्रिया में बाधा डालने पर आरोपियों को तीन साल तक की सजा सुनाई जा सकती है और न्यूनतम एक लाख से तीन लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा। 

    गवाहों की रक्षा भी करेगी सरकार

    गवाहों की रक्षा के लिए भी  इस कानून में व्यवस्था की गई और कोर्ट में यह प्रमाणित हुआ कि गवाहों को मुकदमे से नाम वापस लेने की धमकी दी गई तो तीन से पांच साल तक की सजा दी जाएगी और दो लाख से पांच लाख तक का अर्थदंड लगाया जाएगा। 

    पीड़ित  का मुफ्त इलाज अस्पतालों में 

    मॉब लिंचिंग के पीड़ित का मुफ्त इलाज करने की अस्पतालों में व्यवस्था होगी। यह व्यवस्था सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निगम के अस्पतालों में भी होगी। इस क्रम में अस्पतालों को खर्च की गई राशि का भुगतान राज्य सरकार मुआवजा योजना से करेगी। कानून बनने के बाद पीडि़तों के लिए मुआवजे का भी प्रबंध किया गया है।