इंफाल: मणिपुर (Manipur Violence) में करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच राज्य की बिरेन सिंह (Biren Singh) की सरकार ने राज्य में अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 25 जून तक बढ़ा दिया है। बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।
कुकी आदिवासियों के लिए सैन्य सुरक्षा संबंधी याचिका पर SC सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सैन्य सुरक्षा उपलब्ध कराने और इन (आदिवासियों) पर हमले कर रहे सांप्रदायिक समूहों के खिलाफ मुकदमे चलाने के अनुरोध वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह कानून व्यवस्था से जुड़ी परिस्थिति है और प्रशासन को इससे निपटना चाहिए।
State government has extended the suspension of the Internet in Manipur till June 25 pic.twitter.com/xXA9fSw9Mg
— ANI (@ANI) June 20, 2023
पीठ ने कहा, ‘‘यह कानून और व्यवस्था का गंभीर मुद्दा है। प्रशासन को इस मुद्दे को देखने दें। क्या सर्वोच्च न्यायालय व्यक्तिगत सुरक्षा का आदेश दे सकता है? हमारे हस्तक्षेप से और समस्या पैदा होगी। यह स्थिति को खराब कर सकता है। हमें उम्मीद है कि अदालतों को ऐसा आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है कि सेना या केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए।”
‘…लेकिन प्रधानमंत्री के पास समय नहीं है’, कांग्रेस ने की आलोचना
कांग्रेस नेता अजय कुमार ने मणिपुर के नेताओं को प्रधानमंत्री से मिलने का समय नहीं मिलने को लेकर मोदी की आलोचना की। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, ‘‘बीते 10 जून से कई दलों के नेता मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाह रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के पास समय नहीं है। खुद भाजपा के नेता प्रधानमंत्री मोदी से नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि भद्दे संवाद लिखने वाले मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा था कि उनसे प्रधानमंत्री मोदी बिना अपॉइंटमेंट के 45 मिनट तक मिले।” बता दें कि विपक्ष ने 10 जून को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर और फिर 12 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र सौंपकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय भी मांगा था।
केंद्र सरकार खामोश क्यों है?
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार खामोश क्यों है? गृह मंत्री अमित शाह ने तीन दिनों का दौरा किया, लेकिन हिंसा जारी है। फिर इस दौरे से क्या मिला?” उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार सोचती है कि हम कुछ मांगने आए हैं, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर में ‘डबल इंजन’ सरकार पूरी तरह विफल रही है।
अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। इस हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की मौत हुई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है। राज्य में शांति बहाली के लिए सेना और असम राइफल्स के लगभग 10,000 जवान तैनात किए गए हैं।