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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ( फाइल फोटो)

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पीलीभीत: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने देश में धर्म और हिंदुत्व की आड़ में अत्याचार होने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि देश की जनता इस लोकसभा चुनाव में नाटक, जुमलेबाजी या गारंटी के झांसे में नहीं आएगी । पीलीभीत और मुरादाबाद में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए बसपा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र में सत्ता में आने पर अन्य पार्टियों के विपरीत उनकी पार्टी जमीनी स्तर पर ठोस काम करेगी जैसा कि उसने सत्ता में रहते हुए उत्तर प्रदेश में किया था। उन्होंने पीलीभीत में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस चुनाव में कोई नया या पुराना नाटक, जुमलेबाजी या गारंटी काम नहीं करेगी, क्योंकि देश के लोग समझ गए हैं कि गरीबों, कमजोर वर्गों, मध्यम आय समूहों और अन्य मेहनतकश लोगों से किए गए अच्छे दिन के कई वादे कागजी गारंटी हैं।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर अभी तक एक-चौथाई वादे भी पूरा नहीं हुए हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों पर अपना अधिकांश समय और शक्ति अपने पसंदीदा पूंजीपतियों को अमीर बनाने, उन्हें छूट देने और उन्हें बचाने का आरोप लगाते हुये कहा कि उनके वित्तीय समर्थन से यह पार्टी भाजपा और अन्य पार्टियां अपना संगठन चलाती हैं और चुनाव लड़ती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा चुनावी बॉण्ड के माध्यम से भी उजागर हुआ है । मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह उसकी (भाजपा की) जातिवादी, सांप्रदायिक, पूंजीवादी नीति और गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों के बारे में सोच है।

उन्होंने अपने घोषणापत्र में बड़े-बड़े वादे करने के लिए कांग्रेस की भी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अधिकतर केंद्रीय जांच एजेंसियों का राजनीतिकरण किया, जैसा कि पहले कांग्रेस ने किया था। उन्होंने कहा, मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण ही उनका विकास और उत्थान प्रभावित हुआ है। धर्म के नाम पर ‘जुल्म ज्यादती’ भी अपने चरम पर है। हिंदुत्व की आड़ में अत्याचार हो रहे हैं । उन्होंने कहा, ”धर्म और हिंदुत्व के नाम पर अत्याचार हो रहे हैं। मायावती ने कहा, आजादी के बाद कांग्रेस ही केंद्र और अधिकांश राज्यों में सत्ता में रही है लेकिन अपनी गलत नीतियों और कार्यशैली के कारण उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अब केंद्र में भाजपा और उसकी समर्थक पार्टियां सत्ता में आ गई हैं।

लेकिन उनकी अधिकतर जातिवादी, पूंजीवादी, संकीर्ण सांप्रदायिक और नफरत की नीतियों और कार्यशैली से पता चलता है कि उनकी करनी और कथनी में बहुत अंतर है। बसपा प्रमुख ने कहा कि अब ऐसा लगता है कि यह पार्टी इस बार केंद्र में सत्ता में नहीं लौटेगी, लेकिन तभी जब चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे। इस बात पर जोर देते हुए कि उनकी पार्टी कांग्रेस, भाजपा या किसी अन्य पार्टी या गठबंधन के साथ गठबंधन किए बिना अपनी ताकत और तैयारी के दम पर चुनाव लड़ रही है, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने सर्व समाज के सदस्यों को टिकट आवंटन में उचित प्रतिनिधित्व दिया है। बसपा अध्यक्ष ने कहा,”हमने निर्वाचन क्षेत्र की जनसांख्यिकी के अनुसार उम्मीदवार खड़े किए हैं, जैसे कि उन जगहों पर जहां हिंदू अधिक हैं, हिंदू उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं और जहां मुस्लिम संख्या में अधिक हैं, वहां मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए गए हैं।

उन्होंने कहा, “लेकिन समाजवादी पार्टी ने इसके विपरीत किया है। जहां मुसलमानों की संख्या अधिक है, वहां उन्होंने हिंदुओं को टिकट दिया है, जैसे कि मुरादाबाद में। यह समाजवादी पार्टी की संस्कृति रही है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा के मुफ्त अनाज वितरण कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग गांवों में जाकर गरीबों को गुमराह कर रहे हैं कि उन्हें जो अनाज और नमक दिया जा रहा है, उसके प्रति वफादारी दिखानी होगी और उन्हें भाजपा को वोट देना होगा । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘यह कोई एहसान नहीं है क्योंकि यह करदाताओं के पैसे के माध्यम से दिया जा रहा है। मायावती ने कहा, अगर हमें केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिलता है, तो इनमें से किसी भी पार्टी के विपरीत हम बड़े-बड़े या कागजी वादे नहीं करेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की तरह जमीन पर ठोस काम करेंगे।

उन्होंने कहा, मुसलमानों का नफरत की भावना से शोषण किया जा रहा है और इसे भी रोका जाएगा, हमारी सरकार इसे रोकेगी। रैलियों के जरिए मायावती ने मुराबादाबाद-मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर-जीशान खान, नैनीताल, उधमसिंहनगर-अतर अली, पीलीभीत-अनीस अहमद खान उर्फ फूल बाबू, शाहजहाँपुर, डॉ. दोदराम वर्मा, ददरौल विधानसभा में सर्वेश चंद मिश्र समेत बसपा प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार किया। (भाषा)