Silk Production

    Loading

    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: देश और दुनिया में मशहूर बनारसी सिल्क (Banarasi Silk) के बुनकरों की अब कच्चे माल के लिए चीन ( China) और दूसरे प्रदेशों पर निर्भरता कम होगी। योगी सरकार (Yogi Govt.) ने उत्तर प्रदेश में ही रेशम का उत्पादन कई गुना बढ़ाने की योजना बनायी है। प्रदेश में ही रेशम का उत्पादन बढ़ने पर जहां सिल्क निर्माताओं को कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो सकेगा, वहीं लागत में भी कमी आएगी। अभी देश में हो रहे कुल रेशम उत्पादन का महज तीन फीसदी ही उत्तर प्रदेश में किया जाता है। 

    बनारसी सिल्क के ज्यादातर बुनकर चीन का मलबरी अथवा दक्षिणी राज्यों खासकर कर्नाटक से आने वाले धागों का प्रयोग करते हैं। हाल ही में बनारस में मौजूद सिल्क एक्सचेंज को उच्चीकृत करते हुए इंटीग्रेटेड सिल्क कांप्लेक्स बनाने का काम शुरु किया गया है और यहां कर्नाटक से आने वाले सिल्क धागों की बिक्री के लिए निशुल्क काउंटर भी उपलब्ध कराया गया है।

    पांच सालों की योजना तैयार 

    योगी सरकार ने प्रदेश में रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए पांच सालों की योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के 50,000 से ज्यादा किसानों को रेशम कीट पालन के काम में लगाया जाएगा। फिलहाल रेशम कीट पालन के काम में 29,000 किसान लगे हैं। प्रदेश सरकार ने ककून धागाकरण का लक्ष्य लगभग 30 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है और धागा बनाने वाली रीलिंग मशीनों की तादाद भी दो से बढ़ाकर 45 किए जाने की योजना बनायी है। 

    लागत में भी कमी आ सकती है

    प्रदेश में अभी महज 60 टन रेशम के धागे का इस्तेमाल हो रहा है जिसे पांच सालों में बढ़ाकर 1,750 टन ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। सिल्क कारोबारियों के मुताबिक, प्रदेश में वाराणसी और आसपास के शहरों में सिल्क के 2,500 से 3,000 टन धागे की सालाना खपत है। प्रदेश में ही रेशम का उत्पादन बढ़ जाने के बाद न केवल आसानी होगी, बल्कि लागत में भी कमी आ सकती है। अभी प्रदेश में सबसे ज्यादा रेशम का उत्पादन सोनभद्र, ललितपुर, फतेहपुर, चंदौली, कानपुर, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट और बांदा में होता है। प्रदेश के कुल 57 जिलों में रेशम की खेती की जाती है। इनमें तराई क्षेत्रों में शहतूत से तो बाकी जगहों पर अर्जुन से रेशम निकाला जाता है।

    17 लाख शहतूत और अर्जुन के पौधे लगाए जाएंगे 

     रेशम उत्पादन बढ़ाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए प्रदेश सरकार केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की ओर से संचालित केंद्रीय रेशम बोर्ड की सिल्क समग्र योजना के तहत किसानों को पौधारोपण, कीटपालन, प्रशिक्षण और उपकरण आदि के लिए अनुदान उपलब्ध करा रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 13 नई रीलिंग मशीनों की स्थापना के टेंडर भी किए जा चुके हैं। योजना के मुताबिक, 17 लाख शहतूत और अर्जुन के पौधे लगाए जाएंगे और कीटपालन के लिए सामुदायिक भवन बनाए जाएंगे। इंटीग्रेटेड सिल्क कांप्लेक्स का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव रेशम नवनीत सहगल के मुताबिक रेशम की खेती से लेकर धागा तैयार करने में महिलाओं की बड़ी भूमिका हो सकती है। प्रदेश में रेशम का बड़ा बाजार है और इसकी मांग खासी है।