jagadguru-Rambhadracharya-demanded-to-change-bhopal-as-bhojpal-said-will-not-come-untill-this-is-done

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लखनऊ: विश्व की विलक्षण प्रतिभा के धनी, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिब्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के  संस्थापक जीवन पर्यन्त कुलाधिपति परम पूज्य गुरुदेव जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज को भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

 निजी सचिव कुलाधिपति आर पी मिश्रा ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव जी आज लगभग शैक्षणिक जगत में शिक्षाविदों के लिए अमूल्य धरोहर है।और धार्मिक क्षेत्र में भी भारत में विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आपने वर्तमान तक लगभग 250 ग्रंथों का लेखन प्रणयन किया है।जो भारतीय समाज आपको युगों युगों तक याद करेगा। आपके द्वारा संचालित विभिन्न प्रकल्पों में साहित्य सेवा, दिब्यांग जन सेवा,  संत सेवा, गौ सेवा,  भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 

चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं।  ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है, संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार। वर्ष 2022 के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया।