नई दिल्ली/वाराणसी. ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) परिसर में दो दिन से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे जारी है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शनिवार को ज्ञानवापी सर्वे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी-आरएसएस एक कहानी सेट करेंगे। उम्मीद है कि हजारों ‘बाबरी मस्जिदों’ के द्वार नहीं खोले जाएंगे।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हमें आशंका है कि जब एएसआई रिपोर्ट आएगी, तो बीजेपी-आरएसएस एक कहानी सेट करेगी। अब मैं 23 दिसंबर या 6 दिसंबर जैसी घटना के लिए आशंकित हूं। उम्मीद करता हूं कि ऐसा न हो। हम नहीं चाहते कि बाबरी मस्जिद जैसे मुद्दे खुलें।”
#WATCH | Speaking on ASI survey of Gyanvapi mosque complex in Varanasi, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, "We have apprehensions that when the ASI report comes, BJP-RSS will set a narrative…I hope it doesn't happen but I am apprehensive about a 23rd December or 6th… pic.twitter.com/8msF0BPUqC
— ANI (@ANI) August 5, 2023
इससे पहले ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा, एक बार जब एएसआई द्वारा ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है, तो कौन जानता है कि इसका असर क्या होगा। उम्मीद की जाती है कि 23 दिसंबर और छह दिसंबर की पुनरावृत्ति नहीं होगी। पूजा स्थल अधिनियम की शुचिता के संबंध में ‘अयोध्या मामले’ के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि इससे हजारों ‘बाबरी मस्जिदों’ के द्वार नहीं खोले जाएंगे।”
Once the #Gyanvapi ASI reports are made public, who knows how things will pan out. One hopes that neither 23rd December nor 6th December will repeat. The observation of the Supreme Court in the Ayodhya judgement regarding the sanctity of the Places of Worship Act must not be…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 5, 2023
गौरतलब है कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी।सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। पीठ ने एएसआई और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया। मेहता की ओर से कहा गया था कि सर्वेक्षण के दौरान परिसर में खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)