Shramjeevi train blast culprits get death sentence

Loading

नई दिल्ली: अदालत ने जौनपुर में श्रमजीवी ट्रेन हुए बम धमाके के दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। ADG फर्स्ट राजेश कुमार राय की कोर्ट ने बुधवार (3  जनवरी) को दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। इस हादसे की पीड़ितों को 18 साल के बाद न्याय मिला है।जानकारी के लिए बता दें कि 28 जुलाई 2005 को श्रमजीवी ट्रेन की एक बोगी में बम विस्फोट किया गया था। इस कांड में 14 लोगों की मौत हुई थी और 65 लोग गंभीर घायल हुए थे। 

28 जुलाई 2005 को सिंगरामऊ थाना क्षेत्र के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम विस्फोट किया गया था। आतंकी घटना में 14 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 62 घायल हुए थे। घटना के बाद चार आरोपी गिरफ्तार किए गए। कोर्ट में सुनवाई चली। इस दौरान सात आतंकी चिह्नित किए गए। उनमें एक की मौत हो चुकी है। जबकि दो का आज तक पता नहीं चला। गिरफ्तार किए गए चारों आतंकियों में रोनी व औबेदुर्रहमान को कोर्ट 2016 में फांसी की सजा सुना चुकी है।

जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पाण्डेय ने बताया कि राजकीय रेलवे पुलिस ने इस बम विस्फोट काण्ड मामले में सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था जिनमें आलमगीर उर्फ रॉनी, उबैद-उर-रहमान, हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल, नाफिकुल विश्वास, गुलाम पचदानी याहिया, कंचन उर्फ शरीफ और डॉक्टर सईद शामिल थे।

उन्होंने बताया कि पुलिस आज तक सईद का पता नहीं लगा सकी है और उसके फरार होने की वजह से विवेचनाधिकारी ने बाकी छह अभियुक्तों के खिलाफ अभियोग पत्र अदालत में दायर किया था। पाण्डेय ने बताया कि गुलाम पचदानी और कंचन पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे जबकि शेष चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि 2016 में आलमगीर और उबैद-उर-रहमान को अपर सत्र न्यायाधीश बुद्धिराम यादव ने फांसी की सजा सुनायी थी।

इस फैसले के खिलाफ दोनों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी जो अभी लम्बित है। पाण्डेय ने बताया कि हिलाल और नाफिकुल विश्वास एक अन्य मामले को लेकर आन्ध्र प्रदेश की चेरापल्ली जेल में बन्द थे, लिहाजा दोनों की फाइल अलग कर दी गयी थी और 2016 के बाद विश्वास और हिलालुद्दीन को चेरापल्ली जेल से जौनपुर लाकर मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी तथा इस पर लगभग सात साल बाद आज फैसला सुनाया गया। उन्होंने बताया कि विश्वास और हिलाल को कड़ी सुरक्षा के बीच अपराह्न तीन बजकर 20 मिनट पर अदालत में पेश किया गया और फैसले के बाद दोनों दोषियों को जेल भेज दिया गया।