cm yogi

    Loading

    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विकास प्राधिकरणों की नहीं बिक पा रही संपत्तियां (Properties) अब कीमत (Price) घटाकर बेंची जाएंगी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कई प्राधिकरणों में खाली पड़े फ्लैटों और मकानों की कीमत को नए सिरे से तय करने के बाद उन्हें दोबारा बिक्री के लिए रखा जाएगा। प्राधिकरणों से आवास विभाग ने दशकों से नहीं बिक पायी संपत्तियों का ब्यौरा मांगा था। आवास विभाग के पास पहुंची जानकारी के मुताबिक, हजारों की तादाद में फ्लैट और मकान विभिन्न प्राधिकरणों में बिक नहीं सके हैं। इनमें से कुछ संपत्तियां तो एक दशक से भी ज्यादा समय से बिक नहीं पायी हैं और इनकी बिक्री के लिए कई बार पंजीकरण खोला गया है। अब आवास विभाग ने इन संपत्तियों को बेंचने के लिए नो प्राफिट नो लास के फार्मूले को अपनाने के लिए कहा है।

    आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर जैसे शहरों में ही जहां मकानों की मांग सबसे ज्यादा है, वहां भी प्राधिकरण के हजारों मकान बिक नहीं सके हैं। इसके पीछे बड़ा कारण इनकी कीमत ज्यादा होना और बनाने के स्थान का गलत चयन करना रहा है। इसके चलते प्राधिकरणों की खासी रकम फंस गयी है और सरकारी खजाने को घाटा हो रहा है।

    7,500 से ज्यादा फ्लैट और मकान नहीं बिक सके

    आवास विभाग का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरणों में 7,500 से ज्यादा फ्लैट और मकान नहीं बिक सके हैं। इनमें सबसे ज्यादा फ्लैट और मकान लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर और आगरा में हैं।

    ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर बिक्री के लिए खोला 

    प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने प्राधिकरणों से नहीं बिक सकी संपत्तियों के लिए कीमतों के नए सिरे से निर्धारण और अभियान चला कर बेंचने का निर्देश दिया है। हाल ही में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अपनी कई संपत्तियों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बिक्री के लिए खोला है। इन संपत्तियों को हालांकि पहले की ही कीमत पर बेंचा जा रहा है पर लॉटरी के जरिए आवंटन को खत्म कर दिया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण में खाली पड़े मकानों की आनलाइन बिक्री कल से शुरु होगी, जबकि आफलाइन बिक्री शुरु हो गयी है।

    बिक्री के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए 

    खाली पड़ी संपत्तियों के निस्तारण के लिए विकास प्राधिकरणों को जारी दिशा-निर्देश में आवास विभाग ने कहा कि इनके शेष कामों को जल्द पूरा कराया जाए और जिन इलाके में इनका निर्माण हुआ है वहां मूलभूत जरुरत की सभी चीजें विकसित की जाएं। खाली फ्लैटों और मकानों की बिक्री के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए और इनकी कीमतें निजी विकासकर्त्ताओं के मुकाबले कम रखी जाए। साथ ही प्राधिकरणों से कहा गया है कि भविष्य में उन्हीं जगहों पर नयी आवासीय योजनाएं लायी जाएं जहां पर मांग हो।