कल्याण सिंह ने  सन 1992 में लगाई थी सख्ती, UP हाईस्कूल का लगा था 14 % रिजल्ट

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    नई दिल्ली : हम सब जानते है उत्तर प्रदेश न केवल हमारे देश की बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था है। यहां हर साल लाखों की तादात में छात्र- छात्राएं बोर्ड परीक्षा में हिस्सा लेते है। इस साल 10 वीं और 12 वीं के करीबन 56 लाख से अधिक छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा लिया था। आपको बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से इस साल बोर्ड की परीक्षाएं रद्द हुई थी। छात्रों का रिजल्ट आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर लगाया गया है और इसी वजह से सबसे ज्यादा छात्र पास हुए है। लेकिन एक साल ऐसा भी रहा जब यूपी बोर्ड का रिजल्ट चौंकाने वाला था।   

    1992 में यूपी की शिक्षा व्यवस्था को झटका 

    दरसल 1992 यह साल यूपी शिक्षा व्यवस्था के लिए बेहद चौंकाने वाला और हैरान कर देने वाला रहा है। 1992 में यूपी के हाईस्कूल में अगर कोई छात्र किसी एक सब्जेक्ट में फेल होता था तो उसे पूरी तरह फेल माना जाता था। आपको बता दें की उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। कल्याण सिंह ने उस समय परीक्षाओं को लेकर बेहद सख्त नियम बनाए थे। उस वक्त कल्याण सिंह ने नकल विहीन परीक्षा कराने  आदेश दिए थे। उस साल के रिजल्ट ने यूपी की पूरी शिक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। 

    कल्याण सिंह ने लगाई नकल पर रोक 

    आपको बता दें कि 1992 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने पुरे प्रदेश में नकल पर नकेल कसने की मुहिम चलाई थी और इस कड़क फैसले से सब कोई हैरान रह गए। यह फैसला सबके लिए चौकाने वाला था। उस साल यूपी के हाईस्कूल में सिर्फ 14. 70 % और इंटरमीडिएट में 30.30 % छात्र हो पास हुए थे। उनमें से फर्स्ट डिवीजन पास होने वाले छात्र भी गिने चुने थे। उस वक्त यह आलम हुआ था की ऐसे कई स्कुल थे जिनमे एक भी बच्चा पास नहीं हुआ था और कई स्कूलों में गिने चुने बच्चे ही पास हुए थे।