Representational Pic
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    अमेरिका : पार्सल (Parcel) के जरिये सामान भेजना और रिसीव करना आजकल बेहद ही आसान हो गया है। जब कोई खुद किसी के यहां नहीं पहुंच पाता है तो पार्सल के जरिये लोग एक-दूसरे को जरुरी सामान भेज देते है। जिससे उनका टाइम भी बचता है। आपने भी कभी न कभी पार्सल से छोटे-मोटे या फिर जरूरी सामान (Important Item) भेजा या रिसीव तो जरूर किया होगा। सबसे विकसित माने जानें वाले देश अमेरिका (America) की आज हम आपको एक ऐसी हकीकत के बारें में बताने जा रहे हैं। जिसे सुनकर आपको अपने कानों पर यकीन नहीं होगा। 

    गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक है, लेकिन अमेरिका में एक समय ऐसा भी था। जब सामान के बजाय बच्चे पार्सल से भेजे जाते थे। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना। ये जानकर तो आप और भी ज्यादा हैरान हो जाएंगें कि वहां पर लोग ऐसा सिर्फ पैसा बचाने के लिए करते थे। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे बल्कि इतिहास (Weird Historical Fact) में ऐसी एक-दो घटनाओं के बारे में बताया गया है। जिसमें माता-पिता ने पोस्टल सर्विस (Kids Parcel Through Postal Service) के जरिये बच्चों को पार्सल कर दिया। 

    National Postal Museum की इतिहासकार नैंसी पोप (Nancy Pope) के मुताबिक, साल 1913 में पहली बार पहली बार एक बच्चे को पार्सल के माध्यम से उसके दादी के घर पहुंचाया गया था। उस वक्त लोगों को बच्चों के साथ यात्रा करने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी। जिस वजह से उनके साथ ट्रेन से यात्रा कराने के जगह उन्हें पोस्टल सर्विस के जरिए पार्सल कर दिया जाता था। बता दें, पोस्टल सर्विस के माध्यम से बच्चों को मेल करने का ये सिलसिला करीब 6 साल तक चला था। गौरतलब है कि 6 साल के बाद इस पर रोक लगा दिया गया।   

    आखिर क्यों बंद की गई ये सेवा?

    बता दें, पोस्टल सर्विस के माध्यम से बच्चों को मेल करने के कई ऐसे किस्से सामने आने लगे। जिसमें बच्चों को काफी दूर-दूर तक पार्सल किया गया था। जिनमें एक 5 साल की बच्ची को उसके माता-पिता ने ग्रैन्जविले शहर से दादा-दादी के पास लेविस्टन शहर तक पार्सल करके पहुंचाया था। छोटी सी बच्ची को ट्रेन में मौजूद पार्सल बोगी में रखा गया था। हालांकि उसकी दादी ने जाकर उसे रिसीव किया था। इस दौरान एक और बेहद चौकानें वाला मामला सामने आया था। जिसमें एक 6 साल की बच्ची को पार्सल के माध्यम से फ्लोरिडा से वर्जीनिया यानि 720 मील की दूरी तक भेज दिया गया था। जिसके बाद पेपर में ये मुद्दा उठाया गया और जब पोस्टमास्टर जनरल ने ऐसी घटनाओं के बारे में सुना तो उन्होंने उसी दिन बच्चों को पार्सल सेवा से भेजने पर रोक लगा दिया।