
नयी दिल्ली. आज एक बार फिर प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिए अपने भाषण में कश्मीर (Kashmir) का राग पुनः अलापा है और युद्ध की भी बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने अपने भाषण में अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की जमकर वकालत भी की। इसके साथ ही उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी अभियान में पाकिस्तान की भूमिका का भी जिक्र किया और कहा कि इतना सब कुछ करने बाद भी इस मामले में उनके साथ दोहरा रवैया अपनाया गया और पाकिस्तान को एक तरह से अकेला और अलग-थलग छोड़ दिया गया। आज इमरान खान का रिकॉर्डेड भाषण प्रसारित किया गया।
Live Stream: Prime Minister of Pakistan @ImranKhanPTI‘s Virtual Address at 76th United Nations General Assembly Session (25.09.2021)#PrimeMinisterImranKhan #Pakistan 🇵🇰 #UnitedNations 🇺🇳 #UNGA #PMImranKhanAtUNGA https://t.co/Y4qrrQREfE
— Prime Minister’s Office, Pakistan (@PakPMO) September 24, 2021
इमरान-कश्मीर पर जबरन कब्जा
इमरान खान ने आज अपने भाषण में कहा कि अमेरिका में 9/11 हमलों के बाद दुनियाभर के दक्षिण पंथियों ने अब मुसलमानों पर हमले शुरू कर दिए। इसके साथ ही भारत में RSS अब मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं। मुस्लिमों के साथ यहाँ भारी भेदभाव किया जा रहा है। वहीं अब तो कश्मीर में धारा 370 हटाकर भारत ने इस पर जबरन कब्जा कर लिया है। इमरान खान ने कहा कि वहां पर मीडिया और इंटरनेट पर भी पाबंदी है। आज विश्व के डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर को बदला जा रहा ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि दुनिया इस पर सिलेक्टिव रिएक्शन देती है। यह कैसे दोहरे मापदंड हैं।
भारत बढ़ा रहा अपनी सैन्य ताकत
इसके साथ ही आज इमरान ने कि पाकिस्तान भारत के साथ अमन चाहता है। अब गेंद फिर से भारत के पाले में है। उन्होंने कहा कि भारत को अब हर हाल में कश्मीर में उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा। इमरान ने कहा कि कश्मीर में उसे अपनी बर्बरता बंद करनी होगी और डेमोग्राफिक चेंज भी बंद करना होगा। इमरान खान भारत पर सैन्य ताकत बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि भारत की इस हरकत से क्षेत्र का सैन्य संतुलन बिगड़ रहा है और यहाँ अब युद्ध के हालात पैदा हो सकते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के पास आज न्यूक्लियर हथियार हैं। इमरान खान ने एक बार फिर पुरजोर गले में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी सरकार और ‘फासीवादी’ करार दिया।
तालिबान के शासन के हिमायती
इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन की भी जमकर वकालत की। उन्होंने कहा कि हमें अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को हरहाल में मजबूत करना चाहिए। तालिबान ने अब ये वादा भी किया है कि वो मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे। उनके पास समावेशी सरकार होगी और वे अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे। अगर पूरा विश्व समुदाय उन्हें प्रोत्साहित करता है तो यह एक तरह से पूरी दुनिया की ही जीत होगी।
आतंक के खिलाफ जंग में पाकिस्तान का नुकसान
इमरान खान ने अंत में यह भी कहा कि आज अफगानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन इसके उलट इसकी सबसे बड़ी और भारी कीमत तो पाकिस्तान ने चुकाई है। हमारे 80 हजार लोग मारे गए, 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। पाकिस्तान ने अमेरिका के लिए भी उनकी जंग लड़ी। आज पाकिस्तान से कहा जाता है कि, आप तालिबान की मदद करते हैं। आज भी 30 लाख पश्तून इसी पाकिस्तान में रहते हैं। उनकी तालिबान से सहानूभूति है। अमेरिका ने पाकिस्तान में 480 ड्रोन हमले किए। इससे हमें बहुत नुकसान हुआ। इन हमलों में जो लोग मारे गए वो अमेरिका के बजाए अब पाकिस्तान से बदला लेते हैं। इसके चलते अब अपनी राजधानी इस्लामाबाद को एक किले में बदलना पड़ा।