Pakistan caretaker PM Anwarul Haq Kakar

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संयुक्त राष्ट्र. पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा में अपने संबोधन में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है। पाकिस्तान, बैठकों में चर्चा के एजेंडे और विषय की परवाह किए बिना लगातार संरा के विभिन्न मंचों पर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है।

भारत से शांतिपूर्ण संबंध चाहता है पाकिस्तान

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की आम बहस के दौरान काकड़ ने कहा कि पाकिस्तान, भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और भारत के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है।” उन्होंने कहा, “विकास, शांति पर निर्भर करता है। पाकिस्तान आर्थिक रूप से दुनिया के सबसे कम विकसित क्षेत्र में स्थित है और हमारा मानना है कि क्षेत्र एक साथ विकसित होता है, इसलिए भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध बनाना चाहता है।” काकड़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कश्मीर पर अपने प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को ‘मजबूत’ किया जाना चाहिए।

भारत ने आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन पर चिंता जताई

भारत ने सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन पर बार-बार चिंता जताई है और कहा है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के सबूत भी दिए हैं। हालांकि, पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जे का राग अलापा।

सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने से बचता रहा भारत

काकड़ ने दावा किया कि भारत सुरक्षा परिषद के उन प्रस्तावों को लागू करने से बचता रहा है जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के अंतिम फैसले का फैसला वहां के लोगों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के जरिए किया जाए। अगस्त 2019 से भारत ने कश्मीर के लिए अंतिम समाधान लागू करने के लिए अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में 900,000 सैनिकों को तैनात किया है।

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के भारत सरकार के फैसले के बाद, इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में भारत के राजदूत को निष्कासित कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार रोक दिया था। वहीं, भारत ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंध चाहता है लेकिन वह आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त अनुकूल वातावरण चाहता है।

शहबाज शरीफ ने जताई थी भारत से बातचीत की इच्छा 

इससे पहले अगस्त में पाकिस्तान के पूर्व पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई थी। शरीफ ने कहा था, “हम अपने पड़ोसियों से बात करने के लिए तैयार हैं। बशर्ते कि पड़ोसी टेबल पर गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए गंभीर हो क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, हमलावर के रूप में नहीं बल्कि हमारे रक्षा उद्देश्यों के लिए। पिछले 75 वर्षों में हमने तीन युद्ध लड़े। और हुआ यह कि इससे अधिक गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी उत्पन्न होती है।”

भारत पाकिस्तान रिश्ते के लिए आतंक मुक्त माहौल चाहिए

शरीफ के बयान पर विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ पड़ोसी रिश्ते चाहता है लेकिन ऐसे रिश्ते के लिए आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल होना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, “हमने इस मुद्दे पर पाकिस्तानी पीएम की टिप्पणियों से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं। भारत की स्पष्ट और सुसंगत स्थिति सर्वविदित है कि हम पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सामान्य संबंध चाहते हैं। इसके लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण जरूरी है।”

वहीं, अब भारत शनिवार सुबह संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा में पाकिस्तान को करारा जवाब दे सकता है। (एजेंसी इनपुट के साथ)