pakistan-army

Loading

नई दिल्ली/लाहौर: जहाँ एक तरफ पाकिस्तान (Pakistan) में चुनाव के बाद अब भी वोटों की गिनती जारी है। यहाँ अभी तक किसी भी पार्टी को बहुमत मिलती दिखाई नहीं पड़ रही है। लेकिन बावजूद इसके तीनों प्रमुख पार्टियों की तरफ से सरकार बनाने के दावे किए जा रहे हैं। 

इधर बीते शुक्रवार को काउंटिंग के बीच में ही पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के शीर्ष नेता नवाज शरीफ ने सरकार बनाने का अपना दावा पेश कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने तो ये ऐलान भी कर दिया कि उनकी पार्टी PML-N सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालाँकि सरकार बनाने का दावा तो इमरान खान की पार्टी PTI ने भी किया है। लेकिन अब ये देखना दिलचस्प होगा कि, पाकिस्तान में दोबारा इमरान खान की वापसी होती है या नवाज शरीफ चौथी बार पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) बनेंगे।

बहुमत न मिलने के बाद सरकार बनाने की नवाज कर रहे जोड़तोड़

अब अगर नवाज शरीफ की बात करें तो उनकी पार्टी को बहुमत न मिलने के बाद सरकार बनाने की जोड़तोड़ वे शुरू कर चुके हैं। कयास हैं कि, सरकार गठन के लिए सत्ता साझाकरण फार्मूले पर काम किया जा रहा है। ऐसी भी संभावना है कि नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) एक साथ मिलकर सरकार चलाएगी। वहीं इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समर्थित निर्दलीय सांसद विपक्ष में बैठेंगे।

मौजुदा अनुमानों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि PML-N को 80 से 90 सीट और PPP को 60 सीट के आसपास मिल सकती है। वहीं, निर्दली 40 सीट पर सिमट सकते हैं। लेकिन चुनाव बाद बदली परिस्थिति के अनुसार, नवाज शरीफ की पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो वह बिलावल भु्ट्टो की पीपीपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि इस सूरत में नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने पर ग्रहण लग सकता है।

क्यों PM नहीं बन सकते नवाज शरीफ

दरअसल इतिहास पलट के देखें तो नवाज शरीफ का ढंग हमेशा पाकिस्तानी सेना को चैलेंज करने वाला है। ऐसे हालात में शहबाज शरीफ सेना की पहली पसंद बन सकते हैं। शहबाज ने पहले भी लगभग डेढ़ साल तक पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर देश को चलाया है।  वहीँ निर्वासन के समय विदेश में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ कई मौकों पर सशस्त्र बलों के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। विशेष रूप से उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता के लिए खतरनाक ISI खुफिया एजेंसी के एक पूर्व प्रमुख और पूर्व सेना प्रमुख को दोषी ठहराया, हालांकि बाद में इन आरोपों से उन्होंने इनकार किया था।

क्या मान जाएंगे बिलावल

लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बीते सोमवार 5 फरवरी को यानी चुनाव के पहले कहा था कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ अगर चुनाव में सत्ता में वापस आते हैं तो वह नवाज शरीफ के तहत देश के शीर्ष राजनयिक नहीं बनेंगे। लेकिन जो आसार बन रहे हैं उससे इस बात की संभावना है कि नवाज शरीफ की अगुवाई में ही एक मिली-जुली सरकार बनेगी। हालांकि, एक कमजोर गठबंधन होने की वजह से सरकार की चाबी पाकिस्तान सेना के हाथ में ही होगी।

नवाज के PM बनने से कैसा होगा भारत के साथ रिश्ता 

इस बाबत भारत के कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि, अगर नवाज शरीफ का फिर से प्रधानमंत्री बनना भारत के साथ रिश्तों के हिसाब से एक सकारात्मक पहलू हो सकता है। लेकिन वहां अस्थिर राजनीतिक हालातों के चलते और कमजोर गठबंधन होने की वजह से हर विषय में पाकिस्तान की सेना की ही चल सकती। हालाँकि पूर्व में भी जब नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने हैं तब भारत के साथ रिश्तों में तनाव घटाने में मदद मिली है। 

याद हो कि, पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा के दौरान शरीफ ही पाकिस्तान के PM थे। उसके बाद PM मोदी ने भी PM शरीफ पर तब भरोसा किया था जब वर्ष 2015 में शरीफ के घर शादी में मोदी उनके लाहौर स्थित घर पहुंच गये थे। इस बार भी ऐसा होगा या नहीं, इसके लिए फिलहाल अभी इंतजार करना होगा। फिलहाल तो पाकिस्तान में कैसे और किसकी सरकार बनेगी इसका इंतजार है।