पुरानी पेंशन योजना की मांग लाखों कर्मियों की हड़ताल से सरकारी काम ठप

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सरकार पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने के खिलाफ है. उसकी दलील है कि ऐसा करने से भारी आर्थिक बोझ आएगा जिसे सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती. दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े हुए है. 18 लाख से ज्यादा कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जाने से राज्य सरकार का टेंशन बढ़ गया है. इस बड़ी हड़ताल की वजह से पूरे प्रदेश में सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों व स्कूलों में कामकाज ठप्प रहा. पैरामेडिकल व सफाई कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए. सोमवार को बातचीत विफल हो जाने पर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया.

परिस्थिति काफी जटिल होती जा रही है क्योंकि हड़ताल से प्रशासनिक कामकाज अवरुद्ध हो गया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी यूनियन के साथ बैठक की. शिंदे ने आश्वासन दिया कि सरकार ओपीएस लागू करने के प्रति सकारात्मक है. इसे लेकर 3 सदस्यीय अध्ययन समिति गठित की गई जो 3 माह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. इसके बाद पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर फैसला किया जाएगा. इस दौरान सरकार ने हड़ताल से सख्ती से निपटने के उद्देश्य से महाराष्ट्र अत्यावश्यक सेवा अधिनियम (मेस्या) विधेयक विधान मंडल के दोनों सदनों में पुन: पारित करवा लिया. इस कानून की अवधि गत 28 फरवरी को समाप्त हो गई थी इसलिए इसे अगले 5 वर्षों तक के लिए विस्तारित किया गया.

इससे हड़ताली कर्मचारियों पर दबाव पड़ेगा. इस दौरान हड़ताल में फूट भी पड़ गई. मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद प्राथमिक शिक्षक संगठन के नेता संभाजी थोरात ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की लेकिन शिक्षक समन्वयक समिति के विश्वास काटकर ने कहा कि हमने हड़ताल वापस नहीं ली है तथा थोरात के अधिकतर लोग हमारे साथ हैं. कर्मचारियों ने नारे लगाए- एक ही मिशन, पुरानी पेंशन बहाल करो. यह हड़ताल लंबी भी खिंच सकती है जिससे सिर्फ सरकार को नहीं, जनता को भी भारी परेशानी होगी तथा वह आवश्यक सेवाओं से वंचित हो जाएगी.

सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना (ठाकरे गुट) सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों के साथ खड़ी है. देश के कई राज्यों ने अपने यहां पुरानी पेंशन योजना लागू की है. शिंदे-फडणवीस सरकार इस मामले में क्यों टालमटोल कर रही है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उद्योगपतियों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार के पास पैसे हैं पर कर्मचारियों को देने के लिए नहीं. यदि सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बहाल नहीं कर सकती तो कुर्सी छोड़ दे.