खेल रत्न पुरस्कार से हटा राजीव का नाम, नाम बदलने में माहिर BJP

    Loading

    दूसरा कोई काम हो या न हो, लेकिन स्थानों, संस्थानों, क्रीड़ास्थलों, रेल्वे स्टेशनों, सड़कों, बंदरगाहों का नाम बदलने में बीजेपी सरकार माहिर रही है. 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही नाम बदलने की प्रक्रिया में सारा दिमाग लगाया जा रहा है. यह प्रश्न पूछा जा सकता है कि क्या नाम बदलने से उस जगह की फितरत बदल जाती है, या उसके कामकाज के स्वरूप में कोई परिवर्तन आ जाता है? जो भी हो, इतना तो मानना होगा कि नाम परिवर्तन के पीछे एक विशिष्ट सोच काम कर रही है. उसमें कांग्रेस शासन के समय रखे गए या प्रचलित नामों को बदलकर यह दिखाने की कोशिश है कि सभी लोग समझ जाएं कि अब हुकूमत बदल गई है और पुरानी निशानियां मिटाकर नए प्रतीक चिन्ह स्थापित किए जा रहे हैं. इसके साथ ही कहीं पौराणिक तो कहीं राष्ट्रवादी सोच को भी रेखांकित करने का उद्देश्य इसके पीछे रहता है.

    इस समय टोक्यो ओलम्पिक की वजह से देश में खेल का उन्माद छाया हुआ है. ऐसे समय केंद्र सरकार ने खेल से जुड़ा बड़ा फैसला लेते हुए 1991-92 से चले आ रहे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कर दिया. इस पर किसी को आपत्ति इसलिए नहीं हो सकती क्योंकि खेल से जुड़े इस पुरस्कार को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम दिया जाना तर्कसंगत है, लेकिन खास बात यह है कि सरकार का असली उद्देश्य राजीव गांधी का नाम गायब करना था. इसीलिए कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य से नाम बदला गया. यदि खेल जगत की हस्तियों का नाम देना है तो सबसे पहले नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदल कर मिल्खासिंह स्टेडियम रख दीजिए. अरुण जेटली स्टेडियम का नाम भी बदलिए. अब पीटी उषा, सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, अभिनव बिंद्रा, लिएंडर पेस, पुलेला गोपीचंद और सानिया मिर्जा के नाम पर स्टेडियम के नाम रखिए.

    शहरों-कस्बों, सड़कों का भी नामांतरण हुआ

    2014 से लेकर अबतक कई शहरों, सड़कों आदि के नाम बदले गए. इलाहाबाद को प्राचीन नाम प्रयागराज दिया गया. फैजाबाद को अयोध्या का पुरातन नाम दिया गया. मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पं. दीनदयाल उपाध्याय का नाम दिया गया. बंगलोर का नाम बेंगलुरू किया गया. कन्नड़ भाषा के सही उच्चारण का तर्क देकर मैसूरू व मेंगलुरू नाम कर दिए गए. गुड़गांव का नाम बदलकर महाभारत के गुरू द्रोणाचार्य के नाम पर गुरूग्राम कर दिया गया.

    राजामुंद्री का नाम बदलकर राजा महेंद्र वर्मन किया गया जो 11वीं सदी के शासक थे. बंगलुरू रेलवे स्टेशन को स्वातंत्र्य सेनानी संगोल्ली रायन्ना का नाम दिया गया. गुजरात के कांडला पोर्ट का नाम जनसंघ के सहसंस्थापक के नाम से दीनदयाल पोर्ट किया गया. दिल्ली में 7 रेसकोर्स रोड के नाम से मशहूर प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया. औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्मावती करने का प्रस्ताव रखा है. बिहार के नचनिया गांव को नया नाम काशीपुर दिया गया. राजस्थान के चोरबसई गांव से चोर शब्द हटा दिया गया. बाडमेर के मियां का बाड़ा का नाम बदलकर महेश नगर किया गया. रेलवे ने दिल्ली से आजमगढ़ जानेवाली ट्रेन का नाम शायर कैफी आजमी के नाम पर कर दिया.