Sensex

Loading

मुंबई: वर्ष 2023 की पहली तिमाही में मंदी के बाद अब फिर भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में तेजी का नया दौर चल पड़ा है और सेंसेक्स (Bse Sensex) पांच माह की ऊंचाई 61,000 अंक के पार हो गया है। निवेश  गुरु सीए राकेश मेहता (Rakesh Mehta) का मानना है कि आज दुनिया में मंदी के माहौल के बीच भारत एक चमकता सितारा है, जिसकी विकास रफ्तार सबसे ज्यादा है। जिसके कारण भारत सबसे हॉट इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है। यदि देश में राजनीतिक स्थिरता बनी रही तो विकास गति कायम रहेगी और अगले तीन साल में सेंसेक्स 1,00,000 के आंकड़े पर पहुंच सकता है। तेजी के इस दौर में निवेशकों को वेल्थ (Wealth) बनानी है तो लॉन्ग टर्म विजन रखना होगा। इन्ही सब पहलुओं पर अग्रणी ब्रोकिंग और निवेश फर्म मेहता इक्विटीज लिमिटेड (Mehta Equities Ltd.) के संस्थापक अध्यक्ष राकेश मेहता से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज से विस्तृत चर्चा हुई। 

50,000 से अधिक निवेशक आधार वाली मेहता इक्विटीज की वेल्थ मैनेजमेंट सेवा का विगत पांच वर्षों का वार्षिक रिटर्न (Return) 13 प्रतिशत से अधिक रहा है और ऑल्ट्रनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड के कुल 11 कंज्यूमर फिनटेक निवेश में से चार यूनिकॉर्न बन गए हैं और फंड की वैल्यू 3.5 साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गयी है। दूसरे हेल्थकेयर फंड का रिटर्न भी पांच गुना रहा है। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:- 

  • भारत की विकास गति को देखते हुए अगले 2-3 वर्षों में सेंसेक्स किस स्तर पर पहुंच सकता है?

आज जहां दुनिया के बड़े देशों में मंदी का डर सता रहा है, वहीं भारत की ग्रोथ तेज हो रही है। इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है नए वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में ही जीएसटी संग्रह (GST Collection) 1.87 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पहुंच जाना। इससे पता चलता है कि सरकार के अथक प्रयासों से हर सेक्टर में ग्रोथ तेज हो रही है। केंद्र सरकार ने आर्थिक विकास के लिए 3 बड़े काम किए। आधार कार्ड, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम (NPCI) और इंडिया कैपेक्स प्लान। जिनका जबरदस्त प्रभाव हो रहा है। सबसे ज्यादा रोजगार वाले तीनों सेक्टर रियल एस्टेट, आईटी और टेक्सटाइल्स की ग्रोथ तेज हो रही है। डिफेंस सेक्टर का कायापलट हो गया है। भारत हथियार आयातक से निर्यातक देश बन गया है। शुगर इंडस्ट्री एनर्जी इंडस्ट्री में तब्दील हो गयी है। ऑटो इंडस्ट्री फिर दौड़ पड़ी है। इस तरह पूरी अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है। यही कारण है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) विगत 6 महीनों में 2 लाख करोड़ रुपए की भारी बिकवाली के बाद अब फिर लिवाल बन गए हैं। यदि राजनीतिक स्थिरता कायम रही तो इंडिया की ग्रोथ स्टोरी जारी रहेगी और अगले तीन साल में सेंसेक्स 1,00,000 के आंकड़े पर पहुंच सकता है।

  • इस तेजी के दौर में रिटेल निवेशक को वेल्थ बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

यदि रिटेल निवेशक को तेजी के इस दौर का फायदा उठाना है और मार्केट में कमाई कर वेल्थ बनानी है तो उसे रिसर्च कर या एक्सपर्ट एडवायज लेकर क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश करना होगा। साथ ही लॉन्ग टर्म व्यू रखना होगा क्योंकि इस मार्केट में उतार-चढ़ाव आम बात है। बिना रिसर्च या एडवायज के निवेश पर नुकसान भी हो सकता है। वैश्विक या घरेलू घटनाक्रमों से शॉर्ट टर्म में कुछ गिरावट आ सकती है, लेकिन वह अस्थायी होगी। इंडियन मार्केट अब विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं रहा। अक्टूबर से मार्च तक विदेशी निवेशकों ने दो लाख करोड़ रुपए की रिकॉर्ड बिकवाली की, परंतु इंडियन मार्केट में ज्यादा मंदी नहीं आई। अब फिर विदेशी निवेशक हमारी तेज ग्रोथ देख लिवाल बन गए हैं। देश का युवा वर्ग (नौकरीपेशा और कारोबारी) तेजी से अपना निवेश बढ़ाने लगा है। इसी कारण डीमैट खाते 10 करोड़ से अधिक हो गए हैं, जो तीन साल पहले केवल 3 करोड़ ही थे।  

  • कौनसे सेक्टर निवेश के लिए ज्यादा आकर्षक लग रहे हैं?

केंद्र सरकार द्वारा डेवलपमेंट पर भारी खर्च, आयात निर्भरता घटाने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति (आत्मनिर्भर भारत) से लगभग सभी उद्योग क्षेत्रों में ग्रोथ तेज हो रही है। वैसे सबसे ज्यादा फायदा डिफेंस, रेलवे, कैपिटल गुडस, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो, स्टील, सीमेंट, रिटेल और शुगर इंडस्ट्री को मिल रहा है। फैसिलिटी मैनेजमेंट बिजनेस भी तेजी से बढ़ने लगा है।

  • निवेशक हित में नियामक ‘सेबी’ द्वारा लिए गए फैसलों का मार्केट पर क्या प्रभाव होगा?

जिस तरह रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने सख्त नियमों से देश के बैंकिंग सेक्टर को दुनिया में सबसे मजबूत बना दिया है, उसी तरह ‘सेबी’ (SEBI) ने नए सख्त नियम बनाकर इंडियन मार्केट को पूरी तरह सुरक्षित बना दिया है। ‘सेबी’ जानती है कि कुछ रिटेल निवेशक अक्सर लालच में फंस कहीं भी निवेश कर डालते हैं और नुकसान में आ जाते हैं। इसलिए नियामक ने रिटेल निवेशक को सुरक्षित रखने के लिए पिछले एक साल में जबरदस्त सुधार किए हैं और कड़े मार्जिन के नियम लागू किए। शॉर्ट सेलिंग को मुश्किल बना दिया है। इस तरह सट्टेबाजी कंट्रोल हो गयी है। नए नियमों से मार्केट की डेप्थ बढ़ेगी और फायदा ही होगा।

  • अभी भी काफी महंगे दाम पर आईपीओ आ रहे हैं, क्या यह सही है?

नहीं। ऐसा है कि ‘सेबी’ ने अपनी तरफ से आईपीओ मार्केट (IPO Market) में पूरी तरह पारदर्शिता ला दी है। सभी रिस्क फैक्टर और डिस्कोल्जर देना अनिवार्य कर दिया है। गवर्नेंस अच्छा कर दिया है। ओपन मार्केट की नीति के कारण आईपीओ मूल्य तय करने का काम ‘सेबी’ ने मर्चेंट बैंकरों और प्रमोटरों पर छोड़ रखा है। इसलिए मर्चेंट बैंकरों और प्रमोटरों को सोचने की जरूरत है कि वे आईपीओ में उचित मूल्य रखे, ताकि निवेशक का भरोसा बना रहे और मार्केट का स्वस्थ विकास हो सके। निवेशक को भी अपनी पूंजी की सुरक्षा के लिए हर आईपीओ में निवेश से पहले उस कंपनी पर रिसर्च करना चाहिए और अपनी जोखिम क्षमता अनुसार ही निवेश पर विचार करना चाहिए।