संकट में पुडुचेरी कांग्रेस सरकार

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    जिन प्रदेशों में छोटी विधानसभाएं हैं वहां सरकार डांवाडोल रहा करती है. जहां सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों ने पार्टी छोड़ी, सरकार मुसीबत में आ जाती है. एक और विधायक जॉन कुमार (John Kumar) के इस्तीफे के बाद पुडुचेरी की वी. नारायणसामी के नेतृत्ववाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है. इसके पहले स्वास्थ्य मंत्री एम कृष्णराव (M. Krishnarao) ने इस्तीफा दिया था. पिछले 1 महीने में कांग्रेस के कुल 4 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं तथा 1 विधायक अयोग्य ठहराया गया है.

    पुडुचेरी की 30 सदस्यीय विधानसभा में अब कांग्रेस के 10, डीएमके के 3, आल इंडिया एनआर कांग्रेस के 7, अन्नाद्रमुक के 4 तथा बीजेपी के 3 विधायक रह गए हैं. 1 विधायक निर्दलीय है. बीजेपी (BJP) के तीनों विधायक नामांकित हैं और मत देने का अधिकार रखते हैं. फिलहाल विधानसभा में कांग्रेस नीत गठबंधन के 14 तथा विपक्ष के भी 14 विधायक रह गए हैं. विपक्ष ने इस मौके का लाभ उठाते हुए मुख्यमंत्री नारायणसामी (V Narayanasamy) से इस्तीफा मांगा है. यह स्थिति ऐसे समय उत्पन्न हुई है जब पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के साथ अप्रैल-मई में पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कहना होगा कि 5 वर्ष तक सत्ता सुख भोगने वाले नेता चुनाव सामने देखते हुए रंग दिखा रहे हैं. इस दौरान डीएमके नेता अलागिरी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को समर्थन देने की घोषणा की है. स्थानीय डीएमके नेता तमिलनाडु के सांसद-व्यवसायी एस जगतरक्षकन को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करके अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं.

    पुडुचेरी में नारायणसामी की सरकार को उसी समय झटका लगना शुरू हो गया था जब जनवरी में पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद लोकनिर्माण मंत्री ए. नमाशिवयम ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था. फिर स्वास्थ्य मंत्री कृष्णराव ने भी सरकार का साथ छोड़ दिया. पुडुचेरी में सत्ता पक्ष के कमजोर हो जाने से विपक्ष का मनोबल बढ़ा है और वह अगले चुनाव के लिए मोर्चेबंदी में भिड़ जाएगा. कांग्रेस को अपना टूटता घर बचाने की चिंता होना स्वाभाविक है. कांग्रेस के पास इतने समय से उपराज्यपाल किरण बेदी के कड़े विरोध का मुद्दा था लेकिन उन्हें पद से हटाकर यह मुद्दा भी खत्म कर दिया गया. अब कांग्रेस को कुछ अलग मुद्दे तलाशने होंगे.