Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द किया और मामले को दोबारा ट्रायल कोर्ट भेजा। File Photo

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    नई दिल्ली: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला सुनाया है। EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है।  इसे मोदी सरकार (Modi government) की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कोर्ट ने  इस 10 फीसदी आरक्षण (10 Percent Reservation) को वैध करार दिया है। चीफ जस्टिस यूयू ललित (Chief Justice UU Lalit) और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी (Justice Dinesh Maheshwari) ने EWS आरक्षण को सही करार दिया।

    न्यायाधीश ने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। चीफ जस्टिस और जस्टिस माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया है।  

    बता दें कि जनवरी 2019 में 103वें संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित कर EWS को नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था। अनुच्छेद 15(6) में राज्य द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण समेत नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए विशेष प्रावधान किया गया। अबसुप्रीम कोर्ट ने इसकी अनुमति मिल गई है।  

    जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि मेरा फैसला जस्टिस माहेश्वरी की राय से सहमत है। उन्होंने कहा कि EWS कोटा वैध और संवैधानिक है। हालांकि जस्टिस एस. रवींद्र ने इस EWS कोटे को अवैध करार दिया। इस तरह गरीब तबके को मिलने वाले 10 फीसदी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 से मुहर लगा दी है।