
नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक नये अध्ययन में कहा गया है कि अगर ‘जल जीवन मिशन’ सभी ग्रामीण घरों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो डायरिया (अतिसार) से होने वाली करीब चार लाख मौतों को रोका जा सकता है। सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन (जेजेएम) की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में अगले साल तक नल से स्वच्छ जल पहुंचाना है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “जल जीवन मिशन की परिकल्पना यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि प्रत्येक भारतीय की स्वच्छ और सुरक्षित पानी तक पहुंच हो, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। हम इस मिशन को मजबूत करना और अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बढ़ावा देना जारी रखेंगे।”
“Jal Jeevan Mission was envisioned to ensure that every Indian has access to clean and safe water, which is a crucial foundation for public health. We will continue to strengthen this Mission and boosting our healthcare system,” tweets Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/sxqVpzkoJF
— ANI (@ANI) June 9, 2023
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ से भारत में सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति बढ़ाने से स्वास्थ्य संबंधी फायदे और आर्थिक बचत का अध्ययन करने को कहा था। अध्ययन में सामने आया कि यदि जल जीवन मिशन भारत में सभी लोगों को सुरक्षित तरीके से पेयजल की आपूर्ति कर सके तो डायरिया से होने वाली करीब चार लाख मौतों को रोका जा सकेगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अभी तक 62 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए पाइपलाइन कनेक्शन दिया जा चुका है। भारत में सुरक्षित रूप से प्रबंधित पीने के पानी की सभी तक पहुंच के साथ, डायरिया से होने वाले लगभग 1.4 करोड़ डीएएलवाईएस (विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष) से बचने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप 101 अरब डॉलर तक की अनुमानित बचत होगी।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि हर घर में नल जल पहुंचाने से पानी जमा करने में लगने वाला काफी समय (पूरे देश में 6.66 करोड़ घंटे प्रति दिन) बचेगा और विशेष रूप से महिलाओं का वक्त बचेगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने कहा कि अध्ययन के नतीजे प्रामाणिक लगते हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)