नयी दिल्ली. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में दो नयी याचिकाएं दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की कि राज्य में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और निर्माण न गिराया जाए तथा इस तरह की कवायद पर्याप्त नोटिस देने के बाद ही की जाए। संगठन ने इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को ढहाने के मुद्दे पर याचिका दायर की थी। इन आवदनों में कहा गया है कि मामले में पिछली सुनवाई के बाद कुछ नए घटनाक्रम हुए हैं, जिनके बारे में इस अदालत का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है।
एक याचिका में कहा गया है, “कुछ दिनों पहले दो नेताओं द्वारा कुछ आपत्तिजनक एवं अपमानजनक टिप्पणियां की गई थीं, जिन्हें लेकर देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। दोनों नेताओं की टिप्पणियों के विरोध में कानपुर में कुछ लोगों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था।”
Jamiat Ulama-I-Hind, in its fresh application, also seeks to issue directions to State of UP to ensure that demolition exercise of any nature must be carried out strictly in accordance with applicable laws&only after due notice&opportunity of hearing given to each affected person
— ANI (@ANI) June 13, 2022
याचिका के मुताबिक, “बंद के दिन हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच झड़प और पथराव हुआ। कानपुर में हिंसा के बाद कई अधिकारियों ने मीडिया में कहा है कि संदिग्धों/अभियुक्तों की संपत्ति को जब्त कर उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री ने भी मीडिया में कहा है कि आरोपियों के घरों को बुलडोजर के जरिये ध्वस्त किया जाएगा।”
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के अवैध उपायों को अपनाना स्पष्ट रूप से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, खासकर उस सूरत में, जब शीर्ष अदालत वर्तमान मामले की सुनवाई कर रही हो। इसमें कहा गया है, “मौजूदा मामले में यह ध्यान देने योग्य है कि इस माननीय न्यायालय ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के तौर पर किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसलिए, यह देखते हुए कि उपरोक्त मामला फिलहाल इस माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है, ऐसे उपायों पर अमल करना और भी खतरनाक है।”
याचिका के अनुसार, “किसी भी तरह का विध्वंस अभियान स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों के तहत और केवल इस न्यायालय द्वारा अनिवार्य रूप से प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस व सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही चलाया जाना चाहिए।” कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है, “उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करें कि कानपुर जिले में किसी भी आपराधिक मामले में किसी भी आरोपी की आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति के खिलाफ निर्धारित कानून के दायरे से बाहर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।”
संगठन ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की है कि किसी भी तरह का विध्वंस अभियान स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों के अनुसार और प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस व सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही चलाया जाए।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर राष्ट्रीय राजधानी के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को गिराने के मुद्दे पर केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में दावा किया गया था कि सांप्रदायिक हिंसा के आरोपी मुस्लिमों के निर्माण को ढहाया जा रहा है। (एजेंसी)