मां ज्वाला में आस्था ऐसी की 4 माह उलटे दंडवत कर पहुंचे 17 भक्त

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राजस्थान. कहते है ना ‘मानो तो देव नहीं तो पत्थर’। हालही में माँ ज्वाला के प्रति राजस्थान के कुछ भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिली। ये भक्त हिमाचल प्रदेश के दो देवी धामों के दर्शन के लिए पहुंचे थे। यहां पहुंचने के इन लोगों ने एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे 4 महीने का सफर तय किया है। बता दें कि, यह दल दो अलग-अलग भागो में निकला था जिसमें 10 पुरुष और 7 महिलाएं  शामिल थी। 800 किलोमीटर का सफर तय कर ये लोग उल्टी दंडवत करते हुए पहले चिंतपूर्णी (Maa Chintpurni) तो फिर ज्वाला (Maa Jawala)जी के धाम पहुंचे।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 अगस्त को कुछ लोग राजस्थान (Rajasthan Devotees )के हैदलपुर इलाके के गांव अजीजपुर से उल्टी दंडवत करते हुए धार्मिक यात्रा पर निकले थे। ये अपने साथ खाने पिने का सामान ले कर चले थे। रात होने पर ये दाल वहीं डेरा जमा लेता थे और सुबह होते ही सफर शुरू हो जाता था। अधिकतर यह दल किसी सराय या मंदिर की शरण लेता था। ये रोज करीब 8 किलोमीटर की दुरी तय करते थे। दो दलों में बंटे ये लोग एक दल में 7 पुरुष तो दूसरे में 6 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं। पिछले शुक्रवार को ये श्रद्धालु ऊना जिला मुख्यालय पहुंचे था। इसके 3 दिन बाद माता चिंतपूर्णी के दर्शन किए फिर ज्वाला जी के यहां  पहुंचे।  इनकी यात्रा का यह आखिरी पड़ाव था जो की अब पूरा हो चूका है। 

बता दें श्रद्धालुओं के जत्थे में ओम प्रकाश, तेजराम, राम स्वरूप, श्रीमन, पप्पू, रत्न, रवि कुमार, मिश्री लाल, मोहन लाल, प्रकाश, सोनू, सेनापति और कमल सहित 4 महिलाएं केसंती, केशो और रामपति सहित एक अन्य महिला शामिल हैं। मां की भक्ति से ओत-प्रोत यह दल इतनी भयंकर ठंड में भी आगे बढ़ता रहा। इतनी कठिनाइयों के बाद ये लोग मां ज्वालाजी के चरणों में आ पहुंचे हैं। सच में इस जत्थे की भक्ति देखकर अहसास होता है कि दिल में यदि आस्था हो तो इंसान कुछ भी कर गुजरता है। इन श्रद्धालुओं के मुताबिक राम स्वरूप भगत को छोड़कर सभी पहली बार इस तरह की दंडवत यात्रा पर हिमाचल आए हैं। राम स्वरूप 2005 में भी इसी तरह माता के दर्शन कर चुके हैं। भक्तों का मानना है कि, मां ज्वाला जी और मां चिंतपूर्णी की शक्ति और कृपा से सब संभव हो पाया है।