
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (University of Delhi) ने बीबीसी वृत्तचित्र (BBC documentary) की स्क्रीनिंग को लेकर हुए हंगामे की जांच के लिए समिति बनाई है। डीयू ने 2002 के गुजरात दंगे (Gujarat riots) पर आधारित बीबीसी वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग को लेकर कला संकाय के बाहर 27 जनवरी को हुए हंगामे की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। डीयू की प्रॉक्टर रजनी अब्बी (Rajni Abbi) की अगुवाई वाली इस समिति से 30 जनवरी को शाम पांच बजे तक कुलपति योगश सिंह (Vice-Chancellor Yogash Singh) को अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना में कहा कि कुलपति ने परिसर में अनुशासन और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह समिति गठित की है। अधिसूचना के अनसार, वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार सिंह, संयुक्त प्रॉक्टर प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह, सामाजिक कार्य विभाग के प्रोफेसर संजय रॉय, हंसराज कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर रामा, किरोड़ीमल कॉलेज के प्राचार्य दिनेश खट्टर और मुख्य सुरक्षा अधिकारी गजे सिंह समिति के अन्य सदस्य हैं।
The VC of Delhi University constitutes a committee to enforce discipline & maintain law & order. The committee may specifically look into the incident of 27th January 2023 incident which occurred outside the Faculty of Arts (protest over screening of banned BBC documentary) pic.twitter.com/dcD5dEAFPi
— ANI (@ANI) January 28, 2023
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘समिति खासकर 27 जनवरी 2023 को विश्वविद्यालय में कला संकाय के बाहर और प्रवेश द्वार के सामने हुई घटना की जांच करेगी।” दिल्ली विश्वविद्यालय में शुक्रवार को जब विद्यार्थियों ने इस विवादास्पद वृत्तचित्र को दिखाने की कोशिश की थी, तब हंगामा हुआ था। पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को ऐसा करने से रोका था।
भारतीय राष्ट्र छात्र संघ के 24 विद्यार्थियों को दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय से हिरासत में लिया गया था और उत्तरी परिसर में भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि ‘बाहरी’ लोग यह वृत्तचित्र दिखाने की कोशिश कर रहे थे और पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलाया गया था।
वहीँ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कहा कि भारत दुनिया भर में इतना अच्छा कर रहा है इसलिए ये लोग निराश महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटिश अत्याचारों पर एक डॉक्युमेंट्री क्यों नहीं बनाई। मुझे अपने कुछ लोगों के लिए खेद है, क्योंकि वे न्यायपालिका के फैसले के बजाए एक डॉक्युमेंट्री पर भरोसा करते हैं। (एजेंसी)