holi 2022

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    -अरविंद सिंह

    मुंबई: रंगों का त्योहार होली (Holi) करीब आ गया है। 2 साल के लंबे कोरोना (Corona) के कहर के बाद इस वर्ष होली का त्योहार (Holi Festival) परंपरागत तरीके से मनाने का मौका मिलेगा। लिहाजा लोगों के मन में रंगों (Colors) के इस पवित्र त्योहार को लेकर कौतूहल और जिज्ञासा बढ़ गई है। फिर भी कोरोना गाइडलाइंस (Corona Guidelines) का पालन करना जरूरी है। करीब एक हप्ते पहले से ही शहर की दूकानें भिन्न-भिन्न रंगों, अबीर-गुलाल और तरह-तरह की डिजाइन वाली पिचकारियों से पट गई हैं। बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी के अंदर एक अलग तरह की खुशी नजर आ रही है। लंबे समय बाद पहली बार खुल कर होली खेलने का मौका मिलेगा। 

    कोरोना के कोहराम से पीड़ित जनमानस को बमुश्किल इस विभीषिका से राहत मिली है। हजारों लोगों को निगलने वाली इस महामारी की कल्पना मात्र से अभी भी दिल सिहर उठता है, सोचकर धड़कन बढ़ जाती है। कोरोना के प्रकोप ने ऐसा कहर बरपाया कि दशकों भुलाए नहीं भूलेगा। इतिहास के पन्नों में प्रकृति की तांडवलीला मन को झकझोरती रहेगी। फिर भी परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

    मिष्ठान की दूकानें भी सज गई 

    एक बार जनमानस सब कुछ भूलकर नए जोश और उमंग के साथ खुशियां मनाने को उत्सुक है। तरह-तरह के होली के गाने बाजार और गलियों बजने लगे हैं। मिष्ठान की दूकानें भी सज गई हैं। होली के लिए घरों में तरह-तरह के पकवान बनाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। बस बेसब्री से इंतजार है रंगों के उस उत्साह-उमंग में एक बार फिर से ‘सराबोर’ हो जाने का।

    होलिका दहन, मुहूर्त

    • 17 मार्च, पुच्छ काल- रात्रि 09.08 से रात्रि 10.20 बजे तक
    • शुभ महूर्त- मध्य रात्रि के बाद
    • रंगपंचमी – 18 मार्च
    • पूर्णिमा तिथि- 17 मार्च, दोपहर 01.29 बजे से 18 मार्च दोपहर 12.47 बजे तक

    तिथि को लेकर राय अलग-अलग 

    होलिका दहन में इस बार भद्रा होने के कारण तिथियों को लेकर ज्योतिषियों में अगल-अलग राय है। वैसे होलिका दहन का शुभ मुहूर्त अर्ध रात्रि को भद्रा समाप्त होने के बाद है, लेकिन पुच्छ काल में होलिका दहन किया जा सकता है। इस संबंध में विभिन्न ज्योतिषियों के विचार इस प्रकार है

    17 मार्च को दोपहर 1.35 बजे से भद्रा लग जाएगा और मध्य रात्रि 12.57 बजे तक रहेगा। इसलिए रात्रि 12.57 बजे के बाद ही होलिका दहन हो सकता है। शास्त्रों और पुराणों में स्पष्ट बताया गया है कि भद्रा में होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए भद्रा समाप्त होने के बाद ही दहन करें। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा यदि निशीथ काल (अर्ध रात्रि) के बाद रहे तो भद्रा का ‘मुख’ त्याग कर होलिका दहन किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में पुच्छ काल में रात्रि 9.15 बजे के बाद दहन किया जा सकता है।

    -ज्योतिर्विद डॉ. बालकृष्ण मिश्र

    शास्त्रों का मत है कि भद्रा यदि निशीथ काल (अर्ध रात्रि) के बाद रहे तो भद्रा का मुख त्याग कर दहन करें। भद्रा निशीथ काल के बाद 17-18 मार्च की मध्य रात्रि 1.13 बजे तक है। ऐसी स्तिथि में दो ही विकल्प हैं। पहला विकल्प भद्रा समाप्त होने पर रात्रि 1 बजकर 13 मिनट के बाद दहन करना शास्त्र सम्मत होगा। दूसरा विकल्प भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ काल में रात्रि 9.05 से 10.15 बजे तक दहन किया जा सकता है। भद्रा काल के बाद रात्रि 1.13 बजे के बाद ही होलिका दहन करें तो ज्यादा उचित रहेगा।

    - आचार्य पंड़ित रामचन्द्र शर्मा वैदिक

    इस वर्ष होली पर वृद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ध्रुव योग भी बन रहा है। वृद्धि योग में किए गए कार्यों से लाभ प्राप्त होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्यों से पुण्य प्राप्त होता है। ध्रुव योग से चंद्रमा और सभी राशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा होली पर इस साल बुध-गुरु की युति से ‘आदित्य योग’ बन रहा है।

    - पंड़ित अतुल शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

    कलर और पिचकारी से सजीं दुकानें 

    मुंबई के हर इलाके में कलर और पिचकारी की दूकानें सज गई हैं। थोक मार्केट से लेकर फुटकर विक्रेता सभी जगह रंग, अबीर-गुलाल और भिन्न-भिन्न तरीके की पिचकारी खरीदने वालों की भीड़ दिख रही है। दादर के कबूतर खाने में बड़े थोक विक्रेता हैं। वहां फुटकर खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है। इसके अलावा दादर, पश्चिम ब्रिज के नीचे इस समय कलर और पिचकारी की दुकानें सजी हुई हैं।  गोवंडी स्थित शिवाजी नगर मार्केट बैगनवाड़ी, मानखुर्द में मंडला मोहिते पाटिल नगर, लल्लू पाटिल नगर कंपाउंड, पीएमजीपी कॉलोनी में अबीर-गुलाल, विभिन्न रंगों और तरह तरह की पिचकारियों से दुकानें पटी-पड़ी हैं। कल्याण, पूर्व कैलाश नगर स्थित नीलकंठ ब्यूटी कलेक्शन दूकान मालिक रमेश रावल के लड़के जनक रावल ने बताया कि दुकान में 10 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की पिचकारियां बिक रही हैं। पिचकारियों की डिजाइनर अलग-अलग किस्म की हैं। इसी तरह हरा, लाल, पीला, ऑरेंज, पर्पल, पिंक और ग्रीन कलर की अबीर-गुलाल बिक रही हैं। उन्होंने कहा कि लाल और लाइट पिंक कलर के रंग भी हैं।