साल के अंतिम ‘चंद्र ग्रहण’ पर ये काम बिल्कुल न करें, और ये काम आपके लिए हैं मंगलकारक

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    -सीमा कुमारी

    इस साल 19 नवंबर, दिन शुक्रवार को साल का आखिरी चंद्रग्रहण लग रहा है। सबसे बड़ी ख़ास बात यह है कि, इसी दिन ‘कार्तिक पूर्णिमा’ (Kartik Purnima) भी है। ऐसे में इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

    वैज्ञानिक और धार्मिक, दोनों ही दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण को अशुभ  माना जाता है। विज्ञान भी मानता है कि ग्रहण के काल में कई ऐसे रेडियेशन निकलते हैं, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए, हिंदू धर्म में भी ग्रहण और उसके सूतक काल में कई ऐसे कार्य हैं, जिन्हें करने की बिल्कुल मनाही है। आइए जानें, चंद्रग्रहण के दौरान हमें कौन से कार्य नहीं करने चाहिए:

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, ‘ग्रहण’ को अशुभ माना जाता है। इसलिए, ग्रहण काल में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। यहां तक की अगर बहुत जरूरी ना हो तो घर से भी बाहर नहीं निकलना चाहिए।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, ग्रहण काल में खाना बनाना और खाना भी शुभ नहीं माना जाता है। पहले से बने भोजन में तुलसी का पत्ता डाल कर, ढक कर रखना चाहिए। ग्रहण काल में निकलने वाले हानिकारक रेडियेशन से बचाव के लिए भी ऐसा करना लाभ प्रद माने जाते हैं।

    ग्रहण के दौरान किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से उस काम में असफलता ही मिलती है। इसलिए ग्रहण लगने पर कोई भी शुभ काम न करें।

    गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से बचने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि ग्रहण की छाया का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है और इससे उसे नुकसान भी पहुंच सकता है।

    ग्रहण के समय में भगवान का नाम जपने और भजन करने का विधान है, लेकिन इस काल में मंदिरों के पट बंद रखे जाते हैं और ग्रहण के बाद स्नान करके पूजन किया जाता है।

    कहा तो ये भी जाता है कि, इस दौरान चाकू, छुरी जैसे तेज किनारों वाली वस्तुओं का प्रयोग न करें। इस समय किसी भी तरह की सिलाई-कढ़ाई का काम करना शुभ नहीं माना जाता है।

    अगर परिवार में कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो ग्रहण काल में ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जप करना फलदायी माना जाता है।