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    -सीमा कुमारी

    हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ‘इंदिरा एकादशी’ (Indira Ekadashi) का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 21 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। पितृपक्ष के दौरान पड़ने के कारण भगवान की कृपा से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो लोग हर तरह के कष्टों से छुटकारा पाकर सुख-समृद्धि और मृत्यु के मोक्ष चाहते हैं, तो इस व्रत को जरूर रखना चाहिए। आइए जानें इंदिरा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण का समय।

    तिथि  

    पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 सितंबर, मंगलवार को रात 09 बजकर 26 मिनट पर आरंभ हो रही है जो अगले दिन 21 सितंबर, बुधवार को रात 11 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर इंदिरा एकादशी व्रत 21 सितंबर, को रखा जाएगा।

    शुभ मुहर्त

    इंदिरा एकादशी ‘(Indira Ekadashi)  व्रत रखने के साथ विधिवत भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 11 मिनट के बीच भगवान विष्णु का पूजन करना सबसे शुभ माना जा रहा है। इसके अलावा सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। इसके साथ ही इंदिरा एकादशी के दिन शिव योग भी लग रहा है। इस दिन शिव योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा।

    शास्त्रों के अनुसार, एकादशी का पारण एक दिन बाद किया जाता है। इसलिए इंदिरा एकादशी व्रत का पारण 22 सितंबर को किया जाएगा। पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 09 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट के बीच होगा।

    पूजन-विधि

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
    • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
    • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
    • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
    • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
    • भगवान की आरती करें।
    • भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
    • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
    • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

    महत्व

    इस व्रत के महत्व के बारे में स्वयं कृष्ण भगवान ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया जाता है। पुराणों के अनुसार, इस व्रत को करने से लोगों को यमलोक से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध पक्ष वाली एक एकादशी का पुष्य अगर पितृगणों को दिया, तो नरक गए पितृगण को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।