Kartik Purnima 2023
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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्म में हर पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। लेकिन, कार्तिक महीने में आने वाली पूर्णिमा का अलग ही महत्व होता है। इस साल कार्तिक महीने की पावन तिथि यानी, पूर्णिमा तिथि 19 नवंबर  शुक्रवार को है।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, ‘कार्तिक पूर्णिमा’ (Kartik Purnima) को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ (Tripurari Purnima) के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन काशी में देव दिवाली मनाने की भी परंपरा है। नदियों में स्नान-ध्यान के बाद दान-पुण्य की परंपरा है। बड़ी संख्या में गंगा में स्नान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2021) भी लगने जा रहा है। ऐसे में इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानें ‘कार्तिक पूर्णिमा’ का शुभ-मुहर्त, पूजा-विधि और महिमा

    शुभ मुहूर्त

    पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से

    पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक

    पूजा-विधि

    ‘कार्तिक पूर्णिमा’ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।

    अगर संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प करें।

    लक्ष्मी नारायण के सामने देसी घी का दीपक जलाकर विधि-विधान से पूजा करें।

    माना जाता है कि इस दिन सत्यनारायण की कथा करने से भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    भगवान विष्णु को इस दिन खीर का भोग लगाना चाहिए।

    वहीं इस दिन शाम को लक्ष्मी-नारायण की आरती करके तुलसी जी के पास घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन घर में भी दीपक जलाना चाहिए।

    इस दिन हो सके तो गरीबों को दान दें और भूखों को भोजन कराएं।

    कार्तिक पूर्णिमा पर क्‍या करना चाहिए दान ?

    इस दिन सभी को अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार दान जरूर करना चाहिए। आप चाहें तो फल, गुड़, अनाज और वस्‍त्रों का दान कर सकते हैं। वैसे तो शास्‍त्रों में पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्‍मी को समर्पित माना गया है। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की प्रिय वस्‍तुओं जैसे अक्षत, नारियल और दूध की मिठाइयों का दान करना सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी का वास आपके घर में होता है।