BJP नेता शुभेंदु अधिकारी की नादानी, IPS ऑफिसर को कहा खालिस्तानी

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नेता-कार्यकर्ता चाहे किसी भी पार्टी के क्यों न हों, उन्हें अपनी जुबान पर संयम रखना चाहिए।  मर्यादा को ताक पर रखकर अनर्गल प्रलाप करना या समाज विशेष पर टिप्पणी करना पूरी तरह अनुचित है।  इससे लोगों का दिल दुखता है और माहौल बिगड़ते देर नहीं लगती।  केंद्र में सत्तारूढ़ दल के नेताओं को इतना मदमत्त नहीं होना चाहिए कि किसी को कुछ भी बोल दें।  बंगाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने एक सिख आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह को बेवजह ‘खालिस्तानी’ बताया।  इस घटना के विरोध में सिख समुदाय से जुड़े करीब 200 लोगों ने कोलकाता के बीजेपी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।  

सिखों का आरोप है कि बीजेपी के सीनियर नेता शुभेदु अधिकारी को तनावग्रस्त क्षेत्र संदेशखाली का दौरा करने से रोकने पर धमखाली में तैनात सिख आईपीएस अफसर को बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कथित तौर पर ‘खालिस्तानी’ कहा।  प्रदर्शनकारी सिखों ने कहा कि बीजेपी नेता आंदोलनकारी किसानों को भी खालिस्तानी करार दे रहे हैं।  पंजाब के रहनेवाले एक पुलिसकर्मी को भी अपनी ड्यूटी निभाने पर इसी तरह का लेबल लगा दिया गया।  हम सभी भारतीय हैं।  कोई भी हमारी देशभक्ति, हमारे बलिदान, देश के लिए हमारे प्यार पर सवाल नहीं उठा सकता।  पगड़ी पहनना हमारा धार्मिक अधिकार है।  पगड़ी पहनने से हमें खालिस्तानी क्यों बताया जाना चाहिए ?

अधीर रंजन ने निंदा की

बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पुलिस अधिकारी को खालिस्तानी कहकर अपमानित किया जाना निंदनीय है।  यह बंगाल की संस्कृति नहीं है।  हम भी संदेशखाली जाना चाहते थे लेकिन हमें रोक दिया गया।  इसका मतलब यह नहीं कि किसी भी अधिकारी को उसके धर्म के आधार पर निशाना बनाया जाए, बगैर आग के धुआं नहीं उठता।  आईपीएस आफिसर को खालिस्तानी बोलकर बीजेपी फंस गई।  इस मुद्दे को लेकर देशभर में बवाल मच गया, बंगाल पुलिस ने इस घटना पर दुख जताते हुए इसे सांप्रदायिक रूप से उकसाने वाला बयान करार दिया और कहा है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।  

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी शुभेंदु अधिकारी की आलोचना की है।  दूसरी ओर बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दक्षिण बंगाल के एडीजी के दावे का खंडन किया जिसमें यह कहा गया है कि उन्होंने एक सिख आईपीएस अधिकारी पर कथित तौर पर खालिस्तानी टिप्पणी की।  शुभेंदु ने चुनौती दी कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर साबित किया जाए।  ऐसा न करने पर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। 

सिखों की देशभक्ति करार दिया है और पर कोई संदेह नहीं

जिस प्रकार हर मुस्लिम आतंकी नहीं होता, उसी प्रकार हर सिख खालिस्तानी या खालिस्तान समर्थक नहीं होता।  सिखों ने प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सारी लड़ाइयों व 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी वीरता दिखाई और आगे बढ़कर दुश्मन का मुकाबला किया, देश का होटल और ट्रांसपोर्ट उद्योग आमतौर पर सिख ही चलाते हैं।  देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री पदों पर भी सिख रहे हैं।  इक्के-दुक्के अलगाववादियों से कोई फर्क नहीं पड़ता।  देशभक्त सिखों पर उंगली उठाना सर्वथा गलत है।  जिसे देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विविधता पर गर्व है, ऐसा कोई भी व्यक्ति इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी की निंदा करेगा, किसी भी नेता को बोलते समय जोश के साथ होश भी रखना चाहिए।