गांधी-नेहरू के प्रति पवार आस्थावान, कांग्रेस छोड़ी, लेकिन विचारधारा कायम

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    महाराष्ट्र के दिग्गज नेता व एनसीपी प्रमुख शरद पवार का यह कथन महत्वपूर्ण है कि मैंने कांग्रेस छोड़ी लेकिन कांग्रेस की विचारधारा कभी छोड़ी नहीं. गांधी-नेहरू के विचारों का रास्ता शुरू में अपनाया जो कि आज तक कायम है. कांग्रेस को लेकर पवार के दृष्टिकोण में उदारता है तो इसकी वजह यह है कि वे अपने सामने व्यापक राष्ट्रीय नजरिया रखते है और व्यावहारिक सोच रखते हैं. 

    उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि कांग्रेस में क्षमतावान लोग नहीं है. उनमें से अनेकों ने राज्य चलाया है वे देश भी चला सकते हैं. इन्हें एकजुट कर प्रोत्साहित किया जाए तथा अधिक अधिकार दिए जाएं तो चित्र बदल सकता है. सोनिया गांधी कांग्रेस को जोड़कर रखनेवाली शक्ति हैं. उन्हें बाकी सभी का सहयोग मिले तो विकल्प बन सकता है. विपक्ष की एकता पर मेरा ध्यान है. लोगों को पर्याय चाहिए.

    गांधी-नेहरू के प्रति निष्ठा दिखाते हुए पवार ने कहा कि आज मुझे गांधी अधिक महत्वपूर्ण लगते हैं परंतु जब मैं युवा था तो नेहरू अधिक निकट लगते थे. भारत में संसदीय लोकतंत्र स्थापित कर मजबूत बनाने में नेहरू की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका थी. वे आधुनिकता के पक्षधर थे और उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाने का प्रयास किया था. वह विचार हमने स्वीकार किया. बाद में अनुभव बढ़ा तो महात्मा गांधी की विचारधारा की व्यापकता समझ में आने लगी. इंदिरा गांधी की तुलना में नेहरू अधिक लोकतंत्रवादी थे.

    बीजेपी की बदलती भूमिका

    बीजेपी के संबंध में पवार की राय है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद अटलबिहारी वाजपेयी ने कभी टकराव की आत्यंतिक भूमिका नहीं ली थी जबकि आडवाणी और उनके साथियों का रवैया अलग था. वाजपेयी सुसंस्कृत व सभ्य थे. वे मानते थे कि राजनीति में कुछ संयम व परहेज रखना चाहिए. आज जिन लोगों के हाथों में सत्ता है, उनकी और वाजपेयी की भूमिका में जमीन-आसमान का फर्क है. सत्तापक्ष के प्रमुख नेता व्यक्तिगत रूप से कटुतापूर्ण आक्षेप करते हैं. हमने अनेक चुनाव देखे जिनमें टीका-टिप्पणी तो हुई लेकिन उसमें व्यक्तिगत विद्वेष नहीं था. अब यह ज्यादा बढ़ गया है.

    ममता की बातें पसंद नहीं

    पवार ने कहा कि ममता बनर्जी महाराष्ट्र आई थीं. कांग्रेस के संबंध में उनके कुछ वाक्य हमें पसंद नहीं आए. मैंने उनके सामने स्पष्ट कर दिया कि हमारी कांग्रेस के बारे में इस प्रकार की राय नहीं है. इस तरह की कटुता खत्म होनी चाहिए और एकजुट होने की प्रक्रिया में सहयोग किया जाना चाहिए.

    मोदी शुरू से कांग्रेस के प्रति आक्रामक थे

    प्रधानमंत्री मोदी की मानसिकता पर पवार की प्रतिक्रिया थी कि जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब मैं केंद्र में मंत्री था. देश के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक होने से पहले मोदी गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की बैठक लेते थे. जिसमें वे अत्यंत आक्रामक तरीके से मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ बोला करते थे. इससे जो माहौल बना उसके कारण कांग्रेस में भी मोदी के प्रति कटुता बढ़ती चली गई. पवार की राय है कि अन्य पार्टियों और बीजेपी में फर्क है. बीजेपी में प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की बहुतायत है. पार्टी की नीति व अनुशासन को लेकर वह ज्यादा कट्टर है. वे निर्धारित चौखट से बाहर नहीं जा सकते. लोगों को यह समझना होगा कि उनका विचार उपयुक्त नहीं है बल्कि घातक है.