नीतीश कुमार की दिक्कतें बढ़ीं BJP और राजद दोनों का दबाव

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का तनाव बढ़ता ही जा रहा है. कुल 243 सदस्यीय विधानसभा में उनकी पार्टी जदयू की सिर्फ 43 सीटें हैं. 74 सदस्यीय बीजेपी के सहयोग से वे पुन: सीएम बन पाए हैं. ऐसी हालत में बीजेपी (BJP) का दबाव और वर्चस्व तो उन्हें झेलना ही है. पार्टी समर्थन व सहयोग देने की कीमत अवश्य वसूल करेगी. बीजेपी ने अपनी ओर से 2 उपमुख्यमंत्री बनवा रखे हैं. इसके बाद वह गृहमंत्री पद पर भी दावा कर रही है. बिहार में दीर्घकाल से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री के साथ गृह मंत्रालय का प्रभार संभाले हुए हैं लेकिन अब राज्य की कानून-व्यवस्था से जुड़े इस महत्वपूर्ण विभाग को बीजेपी हथियाना चाहती है. चूंकि नीतीश की सरकार बीजेपी के भरोसे टिकी है, इसलिए वे उसके सामने चूं-चपड़ भी नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी ओर विपक्षी पार्टी राजद  (Rashtriya Janata Dal) भी लगातार नीतीश कुमार को चुनौती दे रही है कि वे बचा सकें तो अपने विधायकों को टूटने से बचा लें. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (Mrityunjay Tiwari) ने कहा कि जदयू में टूट होना तय है.

इधर कुआं, उधर खाई

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी के रवैये से खफा हैं जिसने अरुणाचल प्रदेश में जदयू के 7 में से 6 विधायक अपनी ओर फोड़ लिए. अब वह लगातार नीतीश पर दबाव बढ़ाते जा रही है. नीतीश को मुखौटे की तरह सामने रखकर बीजेपी बिहार पर हुकूमत करना चाहती है. बीजेपी 74 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भी बिहार में अपना सीएम इसलिए नहीं बना सकी क्योंकि उसके पास इस पद के लिए कोई लोकप्रिय या असरदार चेहरा नहीं था. इसके अलावा बीजेपी ने पहले ही नीतीश को पुन: सीएम बनाने का एलान कर रखा था, यह वचन उसे निभाना पड़ा. नीतीश जानते हैं कि बीजेपी ने चिराग पासवान को छुपा समर्थन देकर उनके वोट काटे. चिराग बार-बार खुद को मोदी का हनुमान बताते रहे. उनकी पार्टी लोजपा ने एक भी सीट नहीं जीती लेकिन जदयू के वोटों में सेंध जरूर लगा दी. अब नीतीश कुमार की मुश्किल यह है कि राजद उनकी पार्टी जदयू के विधायक तोड़ने की तैयारी में है. वे बीजेपी और राजद दोनों के इरादों से आशंकित हैं.

लालू का मास्टर प्लान

यद्यपि राजद सुप्रीमो लालूप्रसाद यादव चारा घोटाले की वजह से रांची में सजा काट रहे हैं लेकिन उनसे पार्टी नेता लगातार मिलते रहते हैं. लालू ने राजद के बिहार की सत्ता में काबिज होने का मास्टर प्लान बनाया है. उन्होंने अपने पुत्र तथा विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को इस बारे में खास निर्देश दिए हैं तथा अपने विशेष सिपहसालारों को अलग-अलग मोर्चे पर तैनात किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी को जनता दल परिवार के रिश्तों का हवाला देकर जदयू के शीर्ष नेताओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी व श्याम रजक जैसे नेताओं को बयानों के माध्यम से राजद के पक्ष में माहौल बनाने का काम सौंपा गया है. उदयनारायण चौधरी ने तो नीतीश कुमार को यह भी आफर दिया कि यदि वे बिहार में अपनी जगह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना देते हैं तो 2024 में तमाम विपक्षी दल उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर विचार कर सकते हैं.

नीतीश की स्थिति बेहद कमजोर

नीतीश की पार्टी विधानसभा में तीसरे नंबर पर है. राजद की 75, बीजेपी की 74 सीटों के बाद जदयू की केवल 43 सीटें हैं. कांग्रेस की 19 तथा लेफ्ट की 16 सीटें हैं. ऐसे में या तो 5 वर्षों तक नीतीश बिग ब्रदर बीजेपी के दबाव में काम करें या फिर अपनी पार्टी को राजद की तोड़फोड़ का शिकार होते देखें. राजद नेता श्याम रजक का दावा है कि जदयू के 17 विधायक उनके जरिए राजद के संपर्क में हैं और जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे. यदि 15 विधायक भी टूटते हैं तो उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा क्योंकि एक-तिहाई विधानसभा सदस्य अपना अलग गुट बनाकर किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं.