Accident in Mahakal Lok, idols broken due to storm will be rebuilt again

Madhya Pradesh Mahakaleshwar temple, Ujjain,

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प्रकृति के तेवर पर किसी का वश नहीं चलता. विध्वंस के बाद भी मानव संकल्पशक्ति जुटाकर नवनिर्माण की ओर प्रवृत्त होता है. मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के परिसर को अधिक दर्शनीय व सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से उत्कृष्ट निर्माण कार्य करवाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नए परिसर ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया था. वहां सप्तर्षियों की 7 प्रतिमाएं लगाई गई थीं. ये महर्षि हैं- वशिष्ट, कश्यप, अत्रि, जयदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज. इससे परिसर गरिमामय बन गया था. रविवार की शाम को अचानक तेज आंधी चली और सप्तर्षियों की 7 में से 6 मूर्तियां उखड़कर जमीन पर गिर गईं. 10 से 25 फीट ऊंची ये मूर्तियां लाल पत्थर और फाइबर रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक से निर्मित हैं जिन पर ओडिशा, गुजरात और राजस्थान के कलाकारों ने कारीगरी की है. सांदीपनी आश्रम के सामने एक वृक्ष भी उखड़कर धराशायी हो गया. इस हादसे में कई श्रद्धालु बाल-बाल बचे. अवश्य ही प्रशासन सप्तर्षियों की खंडित प्रतिमाओं की जगह नई प्रतिमाएं स्थापित करवा देगा क्योंकि शास्त्रों में खंडित मूर्तियों का निषेध है. इतना तो मानना होगा कि कलियुग के बावजूद धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार तथा आकर्षक तरीके से नवनिर्माण हो रहा है. यह आस्था ही तो है कि भगवान राम की अयोध्या को योगी सरकार भव्यतम रूप दे रही है. काशी विश्वनाथ मंदिर का परिसर अतिक्रमण से मुक्त कराने के बाद व्यापक, श्रेष्ठ और दर्शनीय बना दिया गया है. इससे श्रद्धालुओं को सुविधा हुई है और साथ ही मंदिर परिसर में प्रसाद, हार, पूजा सामग्री के दूकानदारों की भी सहूलियत बढ़ी है. इससे लोगों को रोजगार भी मिलता है. अब मध्यप्रदेश में मां विजयासन धाम को भी उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट पर 300 करोड़ रुपए की लागत आएगी. देवीलोक में नवदुर्गा कॉरिडोर, चौंसठ योगिनी प्लाजा, महाविद्या थीम पर माता मकाहाली, छिन्नमस्ता, तारा, बगुलामुखी, भुवनेश्वरी, मातंगी, भैरवी, धूमावती की झांकियां बनाई जा रही हैं. सकलनपुर पहाड़ी पर 70 करोड़ की लागत से रोप वे बन रहा है. पाथ-वे, विजिटर काम्प्लेक्स, पार्किंग, सामुदायिक काम्प्लेक्स आदि सुविधाएं होगी. तीर्थाटन और पर्यटन दोनों को ध्यान में रखते हुए तीर्थस्थलों का विकास किया जा रहा है. इससे जनसुविधा, व्यापार, विस्तार, रोजगार, गाइड, परिवहन व्यवसाय को लाभ मिलेगा.