खराब सड़कों का मामला, कोर्ट भी कहे तो कहां सुधरती है अफसरशाही

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    खराब सड़कों की जो स्थिति केरल में है, वह हर कहीं है. इसके लिए प्रशासन, इंजीनियर, ठेकेदार सभी जिम्मेदार होते हैं. उखड़ी हुई, गड्ढेवाली सड़कों की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें लोग जान गंवाते हैं या हाथ-पैर तुड़वा बैठते हैं. बेशर्म और लापरवाह सिस्टम इसकी कोई जबाबदारी नहीं लेता. कोर्ट भी कहे तो भी अफसरशाही नहीं सुधरती. उसे जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है. 

    केरल हाईकोर्ट ने 2 वर्ष पहले 18 अक्टूबर 2019 को आदेश में खराब सड़कों पर चिंता जताते हुए कुछ विशिष्ट निर्देश दिए थे लेकिन इनकी अवहेलना की गई. अब हाईकोर्ट ने फिर सड़कों के निर्माण और रखरखाव से संबंधित लापरवाह अधिकारियों की खिंचाई की. हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि मानसून के बाद इस अदालत में फिर से खराब सड़कों की शिकायतें आने लगी हैं. कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा कि अगर इंजीनियरों को नहीं पता कि सड़कों का रखरखाव कैसे किया जाता है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. 

    यदि वे लगातार सड़कों की निगरानी कर रहे हैं तो क्या उन्हें नहीं पता कि सड़क कब क्षतिग्रस्त हुई है? इस स्तर की क्षति एक दिन में नहीं होती. क्या इंजीनियर किसी के गिरने और मरने के बाद कार्रवाई करेंगे? अदालत प्रशासकों और हितधारकों को इतना भुलक्कड़ होने की अनुमति नहीं दे सकती. अगर ऐसा है तो उन्हें उनके वैधानिक कर्तव्यों के प्रति सजग बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. केरल हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों के प्रशासकों को निर्देश दिया कि वे राज्य में विभिन्न सड़कों का तुरंत जायजा लें और यह सुनिश्चित करने का उपाय करें कि सड़कों के संबंध में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए.